Tuesday, April 23, 2024
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चीन में बना था ड्रोन, Pak से किया गया हमला: जम्मू एयर फोर्स स्टेशन हमले की जाँच में हुआ खुलासा

पाकिस्तानी नेवी, आर्मी और एयरफोर्स की एक टीम ने 22 मई 2021 से 6 जुलाई 2021 के बीच चीन के वायु रक्षा संस्थानों का दौरा किया। पाकिस्तान बीते 2-3 महीनों से ड्रोन तकनीक में गहरी दिलचस्पी दिखा रहा है।

जम्मू में वायुसेना के हवाई अड्डे के तकनीकी क्षेत्र में कम ताकत वाले दो बम विस्फोटों के दो हफ्ते बाद खुलासा हुआ है कि यह ड्रोन हमला पाकिस्तान ने चीन में बने ड्रोन से किया था। फॉरेन्सिक जाँच में सोमवार (5 जुलाई 2021) पता चला है कि ड्रोन चीन में बनाया गया था और इस्तेमाल किए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) को आरडीएक्स और नाइट्रेट को मिलाकर बनाया गया था।

पाकिस्तान बीते 2-3 महीनों से ड्रोन तकनीक में गहरी दिलचस्पी दिखा रहा है। चीन और तुर्की उसे लगातार ड्रोन की आपूर्ति कर रहे हैं। इसी साल 15 अप्रैल 2021 को पाकिस्तान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी और चीनी कंपनी दा जियांग इनोवेशन (Da-Jiang Innovations, DJI) के अध्यक्ष के बीच लंबी चर्चा हुई थी।

इस दौरान पाकिस्तान की सरकार ने बड़े पैमाने पर ड्रोन के निर्माण का प्रस्ताव रखा था। इस मामले में चर्चा के बाद पाकिस्तानी नेवी, आर्मी और एयरफोर्स की एक टीम ने 22 मई 2021 से 6 जुलाई 2021 के बीच चीन के वायु रक्षा संस्थानों का दौरा किया। इस दौरान टीम ने एडवांस हाई टू मीडियम एल्टीट्यूड एयर डिफेंस (HIMADS) के बारे में स्टडी की।

माना जाता है कि HIMADS बालाकोट जैसे हमलों से पाकिस्तान को बचा सकता है। पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों ने इसी साल 31 मई से 11 जून के बीच तुर्की के ड्रोन निर्माता बायरक्टर कंपनी का दौरा कर दो ड्रोन बनाने का प्रस्ताव रखा था। इस ड्रोन की खासियत यह है कि यह 22,500 फीट की ऊँचाई पर 24 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है और अपने से 150 किलोमीटर दूर की वस्तु का तस्वीर ले सकता है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान ने जून के अंतिम सप्ताह में यूएवी एस-250 से मिसाइल दागने का परीक्षण किया था। इस मिसाइल परीक्षण का उद्देश्य पाकिस्तान की सीमा के पास भारतीय क्षेत्र में जासूसी करना और 20 जून 2021 तक एस-250 के तैनाती को लेकर एक रिपोर्ट दर्ज करना था।

पाकिस्तान जल्द ही लड़ाकू बुराक ड्रोन से बर्क लेजर गाइडेड मिसाइल का परीक्षण करने की तैयारी कर रहा है। बुराक ड्रोन को कथित तौर पर पाकिस्तान वायु सेना और राष्ट्रीय अभियांत्रिकी और वैज्ञानिक आयोग (NESCOM) ने बनाया है। मार्च 2015 में पहली बार इसका प्रयोग किया गया था और कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना ने इसका इस्तेमाल कर खैबर क्षेत्र में अपने ही नागरिकों को निशाना बनाया था।

खुद को ड्रोन हमलों से बचाने के लिए पाकिस्तान जर्मनी से ARTOS सिस्टम खरीदने की भी योजना बना रहा है। ARTOS सिस्टम में ड्रोन की मूवमेंट की निगरानी करने और नेविगेशन जैमिंग की क्षमता है।

वायुसेना को निशाना बनाने के लिए ड्रोन हमला

27 जून 2021 को भारतीय वायुसेना ने ट्वीट किया था कि जम्मू वायुसेना स्टेशन के तकनीकी क्षेत्र में दो कम तीव्रता वाले विस्फोट हुए। विस्फोट रविवार सुबह करीब 1:42 बजे हुए और ये इतने शक्तिशाली थे कि उन्हें 1 किमी की दूरी तक सुना जा सकता था। हेलीकॉप्टर हैंगर के पास वाले एक स्थान पर ड्रोन द्वारा बम गिराए गए थे। वायुसेना को शक था कि इन हमलों का उद्देश्य एयरबेस के अंदर स्थित भारतीय वायुसेना की रणनीतिक संपत्ति को निशाना बनाना था।

हालाँकि, सुरक्षा बलों ने न केवल दूसरे अटैक को रोकने, बल्कि नुकसान को सफलतापूर्वक कम करने में कामयाबी हासिल की थी। इसके तहत एक विस्फोट में एक इमारत की छत को मामूली नुकसान हुआ था, जबकि दूसरा विस्फोट खुले क्षेत्र में हुआ था। वायुसेना ने कहा कि किसी भी उपकरण को कोई नुकसान नहीं हुआ है। भारतीय वायु सेना ने मामले की सिविल एजेंसियों के साथ मिलकर जाँच शुरू की है। तकनीकी क्षेत्र को सील कर दिया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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