अयोध्या जिला प्रशासन ने मंगलवार (फरवरी 18, 2020) को कहा कि राम जन्मभूमि की 67 एकड़ भूमि के अंतर्गत कोई कब्रिस्तान नहीं है, जहाँ राम मंदिर का निर्माण किया जाना है। जिला प्रशासन ने यह प्रतिक्रिया उस पत्र के जवाब में दी है, जिसमें कहा गया था कि बाबरी स्थल के आसपास के 1,480 वर्ग मीटर के क्षेत्र में समुदाय विशेष के कब्रिस्तान पर नए राम मंदिर का निर्माण न करें।
बता दें कि अयोध्या जमीन विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील रहे एमआर शमशाद ने 15 फरवरी को अयोध्या के 9 मुस्लिमों की तरफ से नव-नियुक्त श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि आज भले ही मौके पर कब्र न दिख रही हो लेकिन वहाँ की 4-5 एकड़ जमीन पर मुस्लिमों की कब्रें थीं, ऐसे में वहाँ मंदिर का कैसे निर्माण किया जा सकता है। इसके साथ ही चिट्ठी में ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा गया कि साल 1855 के दंगों में 75 मुस्लिम मारे गए थे और सभी को यहीं दफन किया गया था।
अयोध्या के डीएम अनुज झा ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “वर्तमान में राम जन्मभूमि के 67 एकड़ के परिसर में कोई कब्रिस्तान नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान इन सभी बातों का जिक्र किया गया था। वकील शमशाद जिस तथ्यों की बात कर रह हैं, वो भी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान सामने आई थी। 9 दिसंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में इन सभी तथ्यों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
डीएम अनुज झा ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 67 एकड़ जमीन केंद्र को हस्तांतरित की गई थी। राम जन्मभूमि पर कोई कब्रिस्तान मौजूद नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं।”
उल्लेखनीय है कि पिछले साल तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने 9 नवंबर को सदियों पुराने मामले पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। जिसमें उन्होंने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था। इसके अलावा कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में ही मस्जिद के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाने की बात कही थी। पीठ ने केंद्र सरकार से कहा था कि मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाया जाना चाहिए।
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