Friday, April 19, 2024
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5 साल के थे कांता और 3 साल की थी बादामी देवी, जब हुई शादी: ‘बाबा का ढाबा’ वाले दम्पति की पूरी कहानी

"यह एक ‘मोहर’ जैसा था, हम पर सिर्फ 5 साल की उम्र में एक साथ रहने का स्टाम्प लग गया था। 1961 में उसके परिवार वालों ने उसे मुझे सौंप दिया, मैं बहुत खुश था और उसे घर लेकर आया। हम 21 साल की उम्र में बेहतर अवसरों की आशा में उत्तर प्रदेश से दिल्ली आया।"

सोशल मीडिया की दुनिया मिजाज़ के लिहाज़ से बेहद प्रतिक्रियावादी है। किसी भी घटना पर हर व्यक्ति प्रतिक्रिया देता है और कभी-कभी इन प्रतिक्रियाओं के नज़ारे बेहद खूबसूरत और भावुक होते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ जब दिल्ली के मालवीय नगर स्थित एक बुजुर्ग दम्पति का निराश अवस्था में वीडियो वायरल हुआ

इस वीडियो ने कांता प्रसाद और उनकी पत्नी बादामी देवी की ज़िन्दगी बदल दी। एक से दो दिनों में इतने लोग मदद के लिए आगे आए कि बुजुर्ग दम्पति के लिए जीवन की परिभाषा बदल गई। अब उन्होंने लोगों की जताई संवेदना और स्नेह के लिए आभार प्रकट किया है। अपनी ज़िन्दगी से जुड़े हर छोटे-बड़े पड़ाव का ज़िक्र किया है। 

कांता प्रसाद बताते हैं, “मेरी जब इससे शादी हुई तब मैं सिर्फ 5 साल का था और वह (बादामी देवी) 3 साल की थी। उस दौर में अंग्रेज़ गैर शादीशुदा महिलाओं का उत्पीड़न करते थे, इसलिए शादियाँ जल्दी करा दी जाती थीं। हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, मुझे इसे पसंद करना था और उसे भी मुझसे लगाव रखना था। यह एक ‘मोहर’ जैसा था, हम पर सिर्फ 5 साल की उम्र में एक साथ रहने का स्टाम्प लग गया था। 1961 में उसके परिवार वालों ने उसे मुझे सौंप दिया, मैं बहुत खुश था और उसे घर लेकर आया। हम 21 साल की उम्र में बेहतर अवसरों की आशा में उत्तर प्रदेश से दिल्ली आया।”

दिल्ली की अपनी जिंदगी के बार में वे बताते हैं, “हम यमुना किनारे रहा करते थे। फिर समय बीता और यहाँ आ गए। मैंने फल के ठेले से शुरुआत की थी। लेकिन जब बच्चे बड़े हुए तब मैंने कुछ बेहतर करने का सोचा और हमने ‘बाबा का ढाबा’ शुरू किया। हमारी शुरुआत बहुत धीमी हुई थी, हम बस ज़रूरत पूरी करने भर की कमाई कर पाते थे और यह सिलसिला लगभग 30 सालों तक चला। कल जब मैंने लोगों, नेताओं, अभिनेताओं और मशहूर लोगों की भीड़ देखी तब मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। मैं 21 साल की उम्र में इस बात के सपने देखा करता था और बीते दिन मैंने अपने सपने को सच होते देखा। ईश्वर हमारी सुनता है, आज नहीं तो शायद 30, 40, 50 या मेरी तरह 80 साल की उम्र में। एक न एक दिन हमारा सपना सच होता ही है, मैं अब और जीना चाहता हूँ। अपनी पत्नी को भी यूँ ही मुस्कुराते देखना चाहता हूँ। उसे बहुत जल्दी समझ आ गया कि कैमरा के सामने कैसे मुस्कुराना है, लेकिन मुझे समय लगा। अब हम अपनी दुकान पर जाना चाहते हैं, अमीरों की तरह दुकान पर किसी काम करने वाले को रखना चाहते हैं। फिर मैं अपनी पत्नी को पुराने दिनों की तरह चाय पिलाने के लिए लेकर जाऊँगा, यह सब देख कर ऐसा लगता है जैसे बस शुरुआत है।”  

इस मामले में एक और अच्छी बात यह है कि खुद ज़ोमैटो ‘बाबा का ढाबा’ चलाने वाले दम्पति की मदद के लिए आगे आया है। ज़ोमैटो ने कहा है कि अब इस ढाबे का खाना ज़ोमैटो (फ़ूड डिलीवरी एड) पर भी उपलब्ध है। साथ ही ज़ोमैटो ने इंटरनेट यूज़र्स का शुक्रिया कहा है कि वह ऐसे किसी ज़रूरत मंद को सामने लेकर आए। बहुत जल्द ज़ोमैटो पर ‘बाबा का ढाबा’ में तैयार किए जाने वाले पकवान उपलब्ध होंगे।

वृद्ध दम्पति दिल्ली स्थित मालवीय नगर में एक छोटा सा ढाबा चलाते हैं और उस पर सामान्य भोजन देते हैं। वह आर्थिक तंगी के दौर से गुज़र रहे थे और तभी किसी इंटरनेट यूज़र ने उनका वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर साझा कर दिया। इसके बाद शुरू हुआ बूढ़े दम्पति के लिए मदद माँगने का सिलसिला, जिसके तहत सोशल मीडिया पर मौजूद लाखों लोग वीडियो साझा करते हुए उनकी मदद के लिए आगे आए। 

एक ही दिन के भीतर बूढ़े दम्पति का वीडियो लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुँच गया। बहुत से लोगों ने उनका निजी तौर पर सहयोग किया जिससे उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में ग्राहक मिलें। देखते ही देखते महज़ एक से दो दिनों में कुछ ऐसा हुआ जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना की हो, हज़ारों लोग कांता प्रसाद और बादामी देवी की मदद के लिए आगे आए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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