गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद-बिक्री के संबंध में मंगलवार (अक्टूबर 27, 2020) को महत्वपूर्ण सूचना जारी की। मंत्रालय द्वारा जारी किए गए निर्देश के मुताबिक अब केंद्र शासित प्रदेश में कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकता है और वहाँ बस सकता है। हालाँकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी।
नए भूमि कानून के पास होने के साथ ही विपक्षी दल और ‘सेकुलर’ नेताओं का मेल्टडाउन शुरू हो गया है। इस पर उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा कि जम्मू-कश्मीर में जमीन के मालिकाना हक के कानून में जो बदलाव किए गए हैं, वो अस्वीकार्य हैं। अब तो बिना खेती वाली जमीन के लिए स्थानीयता का सबूत भी नहीं देना है। इसी के साथ कृषि भूमि के ट्रांसफर को और आसान बना दिया गया है। अब जम्मू-कश्मीर बिकने के लिए तैयार है, जो गरीब जमीन का मालिक है अब उसे और मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
Unacceptable amendments to the land ownership laws of J&K. Even the tokenism of domicile has been done away with when purchasing non-agricultural land & transfer of agricultural land has been made easier. J&K is now up for sale & the poorer small land holding owners will suffer.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 27, 2020
माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने नए भूमि कानून को “हाइवे डाका” के रूप में वर्णित किया और घोषित किया, “इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”
This is highway robbery.
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 27, 2020
The loot of J&K’s resources & beautiful landscape.
Having destroyed all people’s democratic structures, will the next step be forcible land acquisition to hand over to cronies & fatten the purses of the ruling party at centre?
This cannot be allowed. https://t.co/ObykyNy4Un
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी नए भूमि कानून की आलोचन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने आखिरकार जम्मू-कश्मीर को बेचना शुरू कर दिया। उन्होंने नए कानून को केंद्र सरकार का नापाक मंसूबा करार देते हुए कहा कि इसका मकसद जम्मू-कश्मीर के लोगों को अधिकारविहीन करना है। उन्होंने लिखा कि असंवैधानिक तरीके से अनुच्छेद 370 हटाने से लेकर जम्मू-कश्मीर के प्राकृतिक स्रोतों की लूट और अब जम्मू-कश्मीर की जमीन को बेचना सब केंद्र सरकार की साजिश है।
Yet another step thats part of GOI’s nefarious designs to disempower & disenfranchise people of J&K. From the unconstitutional scrapping of Article 370 to facilitating loot of our natural resources & finally putting land in J&K up for sale.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 27, 2020
पाकिस्तानी संसद की कश्मीर कमेटी ने भी अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए इस मेल्टडाउन में हिस्सा लिया। इसने दावा किया कि नया भूमि कानून कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन है।
While Kashmiris were observing #BlackDayKashmir today, Indian occupied regime notifies new land laws in Illegally Occupied Jammu & Kashmir, allowing non Kashmiris purchase land in J&K. No Domicile, PRC required. This is in blatant violation of UN resolutions on Kashmir dispute pic.twitter.com/9fiQrk94gu
— Kashmir Committee (@KCPak4) October 27, 2020
मेल्टडाउन राजनीतिक स्पेक्ट्रम के उदारवादी गिरोह के कुछ ‘बौद्धिक’ हलकों में भी स्पष्ट रूप से देखने को मिला। देविका मित्तल, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर होने का दावा करती हैं, ने दावा किया कि नया भूमि कानून ‘फासीवादी शासन द्वारा आक्रमण का कार्य’ है।
The “Land Laws” that will allow any citizen of India to buy a piece of land in the disputed region of J&K is an act of invasion. It is an act by a fascist regime that does not believe in dialogue, democracy and human rights. #Landlaws #JammuAndKashmir #Kashmir #Article370
— Devika Mittal देविका मित्तल دیوِیکا مِتّل (@devikasmittal) October 27, 2020
यहाँ यह जानना उचित है कि नया भूमि कानून शेष भारत में कानूनों के अनुरूप है। अब तक, जम्मू और कश्मीर के लोग भारत के अन्य क्षेत्रों में भूमि खरीद सकते थे, लेकिन अन्य राज्यों के भारतीयों को जम्मू-कश्मीर में भूमि का अधिकार नहीं था। नया कानून अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के उद्देश्य को आगे बढ़ाता है, जो कि भारतीय मुख्यधारा के साथ जम्मू-कश्मीर का एकीकरण है।