Friday, September 22, 2023
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मिलिए ‘वैग्रेंट हंटर्स’ से, जानिए ‘बैलूनिंग’: बाढ़ का पानी उतरते ही 8 किमी जमीन पर मकड़ियों ने क्यों और कैसे बनाए जाले

इस प्रक्रिया के दौरान भी ये मकड़ियाँ सिर्फ एक ही बार तरल पदार्थ छोड़ती हैं, जिससे एक ही महीन धागे का निर्माण होता है। इसका मतलब यह हुआ कि कई किमी तक फैले इस जाल का एक-एक धागा अलग-अलग मकड़ियों द्वारा बनाया गया है, जो करोड़ों की संख्या में हैं।

ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्वी प्रांत विक्टोरिया में लाखों की संख्या में मकड़ियों ने भारी बरसात के कारण अपना जाला जमीन से कुछ ऊँचाई पर बना लिया है। इससे 8 किमी तक की जमीन एक महीन जाले से ढँक गई है। गिप्सलैंड में मकड़ी के इस जाले से ढकी जमीन में से करीब 1 किमी हिस्सा सड़क का है। सोशल मीडिया पर इस प्राकृतिक घटना की अच्छी-खासी चर्चा हो रही है और इससे जुड़ी कई सारी तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं।

ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में पिछले हफ्ते ही जबर्दस्त बारिश देखने को मिली थी। इस वजह से क्षेत्र में बाढ़ आ गई। प्रांत के गिप्सलैंड क्षेत्र में इस बाढ़ से बचने के लिए मकड़ियाँ लाखों की संख्या में जमीन से ऊपर आ गईं। मकड़ियों की यह प्रवृत्ति ‘बैलूनिंग’ कही जाती है।

दरअसल बाढ़ आने के कारण लाखों की संख्या में मकड़ियों ने एक साथ यह प्रक्रिया अपनाई। इन मकड़ियों ने जमीन से ऊपर आने के लिए आसपास की वनस्पतियों और पेड़-पौधों पर अपने जाले का निर्माण किया। यही कारण है कि गिप्सलैंड के लैंगफोर्ड और सेल कस्बे के बीच मकड़ियों के इन जालों के कारण लगभग 8 किमी की एक महीन परत हवा में तैर रही है।

बैलूनिंग की इस प्रक्रिया के कारण मकड़ियाँ जो जाला बनती हैं वह हवा से भी हल्का होता है जिस कारण यह वनस्पतियों और पौधों के ऊपर तैरता रहता है। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि मकड़ियों द्वारा बनाया गया यह जाल इतना हल्का होता है कि इसकी सहायता से मकड़ियाँ हवा में लगभग 100 किमी दूर तक जा सकती हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस प्रकार के जाले की परत का निर्माण करने वाली मकड़ियाँ अक्सर जमीन पर रहती हैं और जाला नहीं बनाती हैं। इन्हें ‘वैग्रेंट हंटर्स’ कहा जाता है। लेकिन ये मकड़ियाँ बाढ़ के समय अपने बचाव के लिए जमीन छोड़ देती हैं। हालाँकि इस प्रक्रिया के दौरान भी ये मकड़ियाँ सिर्फ एक ही बार तरल पदार्थ छोड़ती हैं, जिससे एक ही महीन धागे का निर्माण होता है। इसका मतलब यह हुआ कि कई किमी तक फैले इस जाल का एक-एक धागा अलग-अलग मकड़ियों द्वारा बनाया गया है, जो करोड़ों की संख्या में हैं।

अक्सर ही विक्टोरिया में ठंड के महीनों में यह दृश्य देखने को मिलता है, जब प्रांत में काफी बारिश होती है। इस साल भी गिप्सलैंड का इलाका बाढ़ से प्रभावित हुआ। हालाँकि बाढ़ का पानी तो उतर गया, लेकिन जमीन मकड़ी के जाले से ढँक गई। स्थानीय निवासियों के अनुसार हवा चलने पर यह जाले पानी की किसी लहर की तरह दिखाई देते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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