पत्रकारिता जगत में शुक्रवार (मार्च 30, 2021) को रोहित सरदाना के निधन के बाद मातम पसरा रहा। हर कोई आजतक के वरिष्ठ पत्रकार के देहांत की खबर सुनकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा था। इस बीच इस्लामी कट्टरपंथियों और वामपंथियों के संदेशों ने लोगों को बुरी तरह झकझोर दिया। इनमें से एक नाम न्यूजलॉन्ड्री के स्तंभकार शरजील उस्मानी का है। वही शरजील उस्मानी जिस पर दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों में कई तरह के इल्जाम लगे थे।
कल जैसे ही सरदाना के निधन की पुष्टि हुई, शरजील उस्मानी ट्विटर पर जश्न मनाने लगा। उसने सरदाना के सहकर्मी राजदीप सरदेसाई के ट्वीट पर नफरत से भरी प्रतिक्रिया दी।
रोहित सरदाना को बड़े अक्षरों में उस्मानी ने “मनोरोगी, झूठ बोलने वाला, नरसंहार करवाने वाला” कहा। इसके अलावा ये भी लिखा कि रोहित सरदाना को पत्रकार के तौर पर नहीं याद किया जाना चाहिए।
Sociopath, pathological liar and genocide enabler that he was, SHALL NOT BE REMEMEBERED AS JOURNALIST! https://t.co/nbnfcstCcM
— Sharjeel Usmani (@SharjeelUsmani) April 30, 2021
ये ट्वीट उस्मानी ने राजदीप सरदेसाई के ट्वीट पर किया था। लोगों ने इसे देखा तो उस्मानी को खूब खरी खोटी सुनाई। तभी कुछ इस्लामी कट्टरपंथी आए और देखते ही देखते ट्विटर पर #StandWithSharjeelUsmani ट्रेंड करने लगा।
एक शेख नाम के ट्विटर यूजर ने कहा कि शरजील ने वो किया जो उसे करना था। अगर देश को बचाना है, तो हर किसी को उसकी तरह ही बनना होगा।
You can silence a lion, but how can you stop a lion like thousands of Sharjeel?
— 𝕊𝕙𝕚𝕖𝕜𝕙 توصيف रज़ा (@sk_traza98) May 1, 2021
Sharjeel did the work that he had to do, the voice should come from every corner of the country
If the country is to be saved, everyone has to become a Sharjeel.#StandWithSharjeelUsmani pic.twitter.com/Spz0VmsqR3
सीएए प्रदर्शनों को भड़काने वालों में से एक आफरीन फातिमा ने कहा कि लिबरलों को न केवल सरदाना के कर्मों पर लीपा-पोती करने के लिए शर्म आनी चाहिए बल्कि मुस्लिम युवाओं को भड़काने के लिए भी शर्मिंदा होना चाहिए। आफरीन के मुताबिक जो लोग सरदाना के लिए लिख रहे हैं वो इस्लामोफोबिया फैला रहे हैं।
Liberals must feel ashamed for not just whitewashing Sardana but also gaslighting Muslim youths at the same time. So much for getting a chance to flex on your islamophobia. Sit down.#StandWithSharjeelUsmani
— Afreen Fatima (@AfreenFatima136) April 30, 2021
इसी प्रकार सैंकड़ों लोगों ने शरजील उस्मानी की भाषा में ट्वीट में किया और यहाँ तक कहा कि जब सरदाना को किसी समुदाय के ख़िलाफ़ नफरत फैलाने में शर्म नहीं आई तो उन्हें सच बोलने में क्यों आएगी।
No sympathy for a psychopath, whose only intention was to spread communal hatred by targeting one particular community, if he wasn’t ashamed for his creepy mindset then why should we? For telling the truth? #StandWithSharjeelUsmani @SharjeelUsmani
— Razik Basrur (@razik_basrur) April 30, 2021
अब इस बात को जानने के लिए कि आखिर ट्विटर पर एक हैशटैग के साथ तमाम कट्टरपंथी किसे समर्थन दे रहे हैं, तो हमें उस्मानी के एक ट्वीट थ्रेड को देखना होगा। इसे उसने ट्विटर पर अपनी आलोचना के बाद शेयर किया था।
इस थ्रेड में उस्मानी ने खुद को उत्पीड़ित समुदाय का कहते हुए उन लोगों पर अपना गुस्सा उतारा जो उसे मृत्यु का जश्न मनाने पर बुरा भला बोल रहे थे। उसने लिबरलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये लोग चाहते हैं कि एक उत्पीड़ित समुदाय का व्यक्ति तय की गई सीमाओं में ही बात रखे।
#Thread: Liberals and centrists continue to amaze me. Rohit Sardana was a horrible man who justified killings, dehumanised entire community and profited from it. Please stop preaching us how to react to his death, and stop sermonizing decency and humanity. 1/n
— Sharjeel Usmani (@SharjeelUsmani) April 30, 2021
उसने कहा कि सरदाना मुस्लिमों के नरसंहार करवा रहा था और उसके सहकर्मी अब भी यही कर रहे हैं। वह कहता है कि वह सरदाना को याद करने की बजाय उन पीड़ितों को याद करेगा जिन्हें उसने (रोहित सरदाना ने) क्रिमिनल कहा और वह अब भी जेल में हैं।
यहाँ ध्यान रहे कि उस्मानी जिस पत्रकार के लिए घटिया बातें कर रहा है, उनका निधन कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद हुआ। उससे पहले उन्होंने सिर्फ अपना काम किया बिना शरजील इमाम जैसे हिंदू विरोधी दंगों में शामिल लोगों का महिमामंडन किए।
which his colleagues continue to give. His reporting was enabling genocide and empowering Brahminical fascism. I am not going to mourn the death of any person like that. His crimes cannot be whitewashed and we will not let anyone do it. 3/n
— Sharjeel Usmani (@SharjeelUsmani) April 30, 2021
उस्मानी कहता है कि अगली बार जब कोई फासीवादी मरे तो लोगों को उसपर उदास नहीं होना चाहिए। ये सबसे बड़ा मानवता का काम होगा।
गौरतलब है कि शरजील उस्मानी के एक-एक शब्द इस्लामी एजेंडा के वाहक हैं। इसी के तहत लोगों की मृत्यु का जश्न मनाया जाता है। उसका होना भी लिबरल मीडिया और बुद्धिजीवियों की देन है। यही लिबरल कुछ दिन पहले एल्गार परिषद 2021 में उसकी स्पीच पर तालियाँ पीट रहे थे।
वहाँ भी इस उस्मानी ने हिंदू समुदाय के विरुद्ध जहर उगला था। उसकी टिप्पणियों पर जब लोगों ने सवाल उठाए तो कई गिरोह के लोगों ने उसे जस्टिफाई किया। इसके अलावा इसी उस्मानी ने कश्मीरी पंडितों को ‘most pampered minority’ कहा था। तब भी लिबरलों ने इसके बयान का बचाव किया था।
मगर, अब ये उस्मानी पूरी तरह से अपनी हकीकत दिखा चुका है और अब चाहकर भी लोग इसके कुकर्मों पर पर्दा नहीं डाल सकते। लिबरलों ने इसे पाला-पोसा और इसका बचाव करके इतना बड़ा कर दिया कि ये खुलकर नफरत फैलाने लगा। ऐसे में हम हैरान कैसे हों कि ये अब खुलकर किसी की मृत्यु पर जश्न मनाता है।