चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की सशस्त्र सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें हॉलीवुड की फिल्मों के फुटेज को चीन के वायु सेना द्वारा अपनी ट्रेनिंग तौर प्रोपेगेंडा के रूप में पेश किया गया है।
चीनी सशस्त्र बल जो हाल ही में लद्दाख के पास निहत्थे भारतीय सैनिकों के खिलाफ किए गए हिंसक झड़प के लिए जिम्मेदार है। तब से वह दुनिया भर में लोगों के निशाने पर है। चीन खुद को ताकतवर दिखाने के लिए अपने प्रोपेगेंडा वार के तहत उसने 2011 में पीएलए वायु सेना के प्रशिक्षण अभ्यास के नाम से एक वीडियो दिखाया था जो अब वायरल है। असल में वो 1986 में बनी हॉलीवुड की प्रतिष्ठित फिल्म “टॉप गन” के फुटेज थे। जिसमें टॉम क्रूज लीड रोल में थे।
चीनी सरकार का मुखपत्र चाइना सेंट्रल टेलीविज़न, ने 23 जनवरी, 2011 को वायु सेना के प्रशिक्षण अभ्यास का दावा करते हुए एक फुटेज दिखाया था। चाइना सेंट्रल टेलीविज़न (सीसीटीवी) द्वारा शाम को यह रिपोर्ट समाचार के दौरान प्रसारित की गई थी। जिसमें चीनी फाइटर प्लेन के मिसाइल की चपेट में आने के बाद “दुश्मन” जेट एक विशालकाय आग के गोले में बदल गया था।
इस वीडियो सेगमेंट को प्रोपेगेंडा के तौर पर ऑनलाइन पोस्ट किया गया था। जिसके बाद यह जल्द ही वायरल हो गया। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एयर फोर्स ने कथित तौर पर फिल्म के फुटेज को प्रोपेगेंडा के तहत यह दिखाने के लिए जारी किया था कि यह एक J-10 फाइटर प्लेन था जिसने अभ्यास के दौरान दूसरे विमान पर मिसाइल दागी थी।
हालाँकि, सोशल मीडिया यूज़र्स और फिल्म के शौकीनों को यह बताने की देर नहीं लगी कि यह फुटेज वास्तव में हॉलीवुड फिल्म “टॉप गन” का है। इसके साथ उन्होंने पीएलए पर अपने झूठे प्रचार को आगे बढ़ाने के लिए चोरी करने का आरोप लगाया था।
उन्होंने फुटेज देखते ही बताया कि जिस J-10 विमान को नीचे गोली मारते दिखाया गया था, वह दरअसल एक अमेरिकी विमान F-5 था। जिसे फिल्म “टॉप गन” के फुटेज से लिया गया है।
इस मामले को लेकर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सीसीटीवी प्रसारण और टॉप गन के फुटेज की फ्रेम-टू-फ्रेम तुलना भी की थी, जिसके बाद यह निष्कर्ष सामने आया था, कि दोनों वीडियो एक ही थी।
झूठे वीडियो की सच्चाई सामने आने के बाद, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का काफी मजाक बन रहा है और बेहद शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ा। हालाँकि, पकड़े जाने के बाद चीन ने तुरंत उस वीडियो को हटा लिया था।
गौरतलब है कि सच्चाई सामने आने के बाद कई चाइनीज वेबसाइट और न्यूज़ साइट्स ने न्यूज़ रिपोर्ट और फ़िल्म के फुटेज की तुलना करते हुए वीडियो प्रकाशित किए थे। जिसके चलते पीएलए अधिकारियों को पब्लिक में काफी जलील होना पड़ा था।