जब बेरोजगारी दर घटती है, तो इसका अर्थ है कि रोजगार बढ़ा है और बेरोजगारी में कमी आई है। केंद्र सरकार को इसे अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित करना चाहिए, लेकिन यहाँ उलटा हो रहा है। विपक्षी कॉन्ग्रेस ही घूम-घूम कर सबको बता रही है कि बेरोजगारी दर घटी है। अर्थात, कॉन्ग्रेस कह रही है कि कि बेरोजगारी में कमी आई है, इसीलिए लोग नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का विरोध करें। बिहार चुनाव से पहले ये ट्रेंड कराया जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि कॉन्ग्रेस पार्टी को आँकड़े नहीं पता हैं। ‘भारतीय यूथ कॉन्ग्रेस’ के कई राज्यों के ट्विटर हैंडल्स से बताया गया कि जून में बेरोजगारी दर 12.02% थी, जो अगले ही महीने जुलाई में घट कर 9.15% हो गई है। इसे बुरी खबर की तरह दिखाते हुए पार्टी ने ‘युवा विरोधी नीतीश-मोदी’ का टैग भी ट्रेंड कराया। इससे कॉन्ग्रेस नेताओं और उनके सोशल मीडिया हैंडलर्स की समझ का भी पता चलता है।
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जैसा कि आप ऊपर संलग्न किए गए स्क्रीनशॉट में देख सकते हैं, ‘इंडियन यूथ कॉन्ग्रेस’ के तेलंगाना, गोवा और ओडिशा के ट्विटर हैंडल्स ने बरोजगारी दर के घटने का मातम मनाया और इसे बुरी खबर की तरह दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ ट्रेंड्स चलाए। ऐसे ही नीचे संलग्न किए गए स्क्रीनशॉट में हरियाणा और तमिलनाडु के यूथ कॉन्ग्रेस के ट्विटर हैंडल्स को यही करामात करते हुए देख सकते हैं।
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‘लाइव मिंट’ की खबर के अनुसार, जुलाई 2020 में भारत की बेरोजगारी दर गिर कर कोरोना वायरस संक्रमण आपदा के पहले के काल वाली स्थिति में चली गई, जिससे पता चलता है कि नौकरियाँ बढ़ी हैं। ‘Centre of Monitoring Indian Economy (CMIE)’ के आँकड़ों की मानें तो जून में बेरोजगारी दर 10.99% था, जो जुलाई में घट कर 7.43% पर गिर कर आ गया। ओडिशा और गुजरात में बेरोजगारी दर सबसे कम है।