फार्मा सेक्टर दवाइयों और वैक्सीन से दुनिया की सेवा कर रहा है लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है कि कॉर्पोरेट सिर्फ और सिर्फ पैसा देखता है। COVID-19 दुनिया के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन यही चुनौती फार्मा जगत के लिए सबसे बड़ा मौका भी है।
भारत द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद डोनॉल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके मदद माँगी थी ताकि वे अमेरिका अपने देश में कोरोनोवायरस रोगियों की बढ़ती संख्या के इलाज के लिए 'हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन' की गोलियों की बिक्री की अनुमति दे सकें।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस दवा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारत ने अपनी जरूरत के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवाई के निर्यात पर रोक लगाई थी, लेकिन पीएम मोदी सही हैं, उन्होंने मदद की।
मैं चाहता हूँ कि अमेरिका के लोग यह जानें कि आपके नि:स्वार्थ एवं साहसिक प्रयास देश में कई जानें बचा रहे हैं। आप बदलाव ला रहे हैं। लेकिन अनुमान दर्शाते हैं कि दो हफ्तों में मृत्यु दर बेहद ऊँचाई पर पहुँच जाएगी।”
यह राशि फरवरी में अमेरिका की ओर से घोषित 10 करोड़ डॉलर की मदद के अलावा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक लेबोरेटरी सिस्टम, ऐक्टिव केस ढूँढने, निगरानी और टेक्निकल एक्सपर्ट्स की मदद संबंधी तैयारियों आदि को दुरुस्त करने के काम में इस पैसे का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
एक व्यक्ति ने अपना अनुभव साझा करते हुए सलाह दी कि मोजों के एक दर्जन पैकेट्स ख़रीद लो और उनका टॉयलेट पेपर के रूप में प्रयोग कर के फिर 'ड्राई वाश' कर के सूखने के लिए डाल दो, फिर टॉयलेट पेपर की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।
"चीन ने कोरोना वायरस को लेकर प्रारंभिक सूचना छिपाई, जिसकी सजा आज दुनिया भुगत रही है। अगर चीन ने इस आसन्न खतरे के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी होती तो अमेरिका और पूरा विश्व इसके लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार होता।"
अमेरिका में कोरोना की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या 230, जबकि इससे संक्रमित लोगों की संख्या 13000 के पार हो गई है। वहीं शुक्रवार को इटली में एक दिन के अंदर कोरोना की वजह से 627 लोगों की जान चली गई, जबकि कोरोना वायरस के संक्रमण के 5986 नए मामले भी सामने आ गए।
डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट रूप से इसे जैसे ही 'चीनी वायरस' की संज्ञा दी, चीनी मीडिया और अंतरराष्ट्रीय उदारवादियों ने 'विक्टिम कार्ड' खेलकर खुद को पीड़ित साबित करने की भी कोशिश की। उनका दावा है कि महामारी को चीनी बीमारी और चीनी वायरस और वुहान वायरस जैसे शब्द कहना नस्लीय और जातिवादी है।
एक ओर जहाँ विश्व भर में टिकटॉक का खुमार युवाओं में व्यापक स्तर पर चढ़ चुका है कि वो टिकटॉक पर आने वाले हर चैलेंज को अपनी कलाकारी से पूरा करने की कोशिश करते हैं, वहाँ पर ऐसी वीडियो चैलेंज बनाकर डालना कहाँ की समझदारी है? हम मानें या न मानें लेकिन टिकटॉक ने जहाँ लोगों की प्रतिभा को लोगों तक पहुँचने का मंच दिया है, वहीं धूर्त लोगों को भी सामने लाकर रख दिया है।