'कब्रगाह' साबित हो रहा कोटा का अस्पताल, 14 और मौत के साथ एक महीने में 91 बच्चों की गई जान। NCPCR की टीम ने हॉस्पिटल में देखा कि ख़िड़कियों में शीशे नहीं, दरवाजे टूटे हुए हैं। अस्पताल के कैंपस में ही सुअर घूमते हैं।
किसानों ने कहा कि टिड्डियों के हमले के कारण वे पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके घर में खाने के लिए रोटी तक नहीं बचा है। कर्जमाफी का वादा पूरा न किए जाने से किसान पहले से ही बेहाल है। मुख्यमंत्री के सामने कई किसान अचानक से रो पड़े।
एक साल में 940 बच्चों की मौत। मुख्यमंत्री गहलोत कहते हैं कि ये कोई नई बात नहीं। वो हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में व्यस्त हैं। मीडिया चुप है क्योंकि ये भाजपा शासित राज्य में नहीं हुआ है। जाँच में पता चला है कि अस्पताल में व्यवस्थाएँ लचर हैं। अगर बच्चे मरते रहें तो सरकार किस लिए?
2 दिन में 10, 1 महीने में 77 बच्चों की मौत। ये आपके लिए भले बच्चे हों। लेकिन, राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार के लिए बस नंबर हैं। जिन्हें गिनकर उसने बता दिया है कि इस बार सबसे कम मरे हैं। यह भी बताया है कि अस्पतालों में रोज दो-चार मरते ही हैं, कोई नई बात नहीं है।
"नैशनल एनआईसीयू रेकॉर्ड के अनुसार, शिशुओं की 20 प्रतिशत मौतें स्वीकार्य हैं, जबकि कोटा में शिशु मृत्यु दर 10 से 15 प्रतिशत है जो खतरनाक नहीं है क्योंकि अधिकतर बच्चों को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था।"
व्याख्याता परीक्षा का मुद्दा राजस्थान में गरमा गया है। छात्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री इसे इगो का मुद्दा बना रहे हैं। गौर करने लायक बात यह है कि ज्यादातर नाराज़ छात्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक हैं।
सीएम अशोक गहलोत के गृह जिले में बच्चियों के साथ हो रहा था अमानवीय व्यवहार। अनजान आदमियों से मिलने के लिए किया जाता था मजबूर। भूखा रखती थी असमां, नहीं देती थी सेनेट्री पैड।
विधायक रामकेश मीणा ने विधानसभा में संघ की शाखाओं में जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के बारे में जानकारी मॉंगी थी। ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई को लेकर भी उन्होंने पूछा था। इसके बाद ही यह कवायद शुरू हुई है।
इन 21 के अलावा ज़िला कलेक्टर ने यह भी बताया कि 28 अन्य पाकिस्तानी प्रवासियों ने भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है और उसके लिए प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा 63 अन्य मामलों में भी जाँच हो रही है और जल्द से जल्द उन सभी को भारतीय नागरिकता देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
गृह मंत्रालय के इस क़दम से ये हिन्दू शरणार्थी भारत में रह पाएँगे। पाकिस्तान में हिन्दुओं व सिखों की स्थिति काफ़ी बदतर है और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। वहाँ अल्पसंख्यकों पर फ़र्ज़ी ईशनिंदा क़ानून लगा कर उन्हें सज़ा देने की कई घटनाएँ...