तस्वीर में दिख रहा है कि एनडीटीवी के पत्रकार विष्णु सोम के टेबल पर एक ऐसा डॉल रखा हुआ है, जिसकी शक्ल आतंकी ओसामा बिन लादेन से मिलती-जुलती है। ओसामा को अमेरिका ने पाकिस्तान में मार गिराया था।
विडियो में मस्जिद की तस्वीरें और उसपर इकट्ठा ईंट-पत्थर एकदम क्लियर हैं। लेकिन एनडीटीवी की एकतरफा पत्रकारिता की हद देखिए... लोगों को बरगलाने के लिए उसने मस्जिद को क्रॉप कर दिया ताकि इस्लामी आतताइयों की हकीकत छिपी रहे।
उत्तर-पूर्वी इलाकों में जारी हिंसा के बीच NDTV की जर्नलिस्ट निधि राजदान ने ट्वीट शेयर करते हुए लिखा कि उसके कुछ सहकर्मियों को दंगाइयों की एक भीड़ ने बुरी तरह से पीटा और तभी छोड़ा जब उन्होंने अपनी पहचान 'हिन्दू' के रूप में बताई।
जो ग्राफिक एनडीटीवी ने दिखाया उसमें पॉंच पार्टियों की तुलना की गई थी। इन दलों में सबसे कम 39 फीसदी बीजेपी सांसद दागी हैं। लेकिन ग्राफ बीजेपी का सबसे बड़ा दिखाया गया ताकि उसके सबसे ज्यादा दागदार होना का भ्रम पैदा किया जा सके।
जिन NDTV के लिए पसीना बहा कर प्रोपेगेंडा फैलाते-फैलाते बाल सफ़ेद कर दिए, अब उसी NDTV ने रवीश के ब्लॉग को वेबसाइट पर एक कोने में छोटी सी जगह में ढकेल दिया है। क्या रवीश के शो की गिरती TRP के कारण उन्हें अपने ही संस्थान में किनारे किया जा रहा है? दुःखद। निंदनीय।
रवीश ने कही, इमरान ने सुनी। रवीश की सलाह इमरान ने मानी। अब इमरान ख़ान न अख़बार पढ़ेंगे और न ही टीवी देखेंगे। उन्होंने न्यूज़ शो देखना बंद कर दिया है। रवीश लगातार अपने 'प्राइम टाइम' में कहते हैं कि टीवी न देखें और अख़बार न पढ़ें। उन्हीं अख़बारों की ख़बर वो शेयर भी करते हैं।
नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन को लेकर प्रोग्राम किया गया और उसमें स्कूल के छात्रों को ले जाया गया तो NDTV के पत्रकार सोहित राकेश मिश्रा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्कूल में छात्रों को नागरिकता कानून के बारे में बताना राजनीति है, क्योंकि इसे अभी तक बड़े लोग नहीं समझ सके हैं।
NDTV अब भले ही वामपंथियों को ख़ुश करने के लिए भाजपा व एबीवीपी को इस हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए 1000 लेख लिखे, डैमेज हो चुका है। वो कहते हैं न, सच छिपाए नहीं छिपता। शायद एनडीटीवी पर यही कहावत फिट बैठती है। वामपंथी 'अपने' ही चैनल से निराश हैं।
एनडीटीवी के कार्यक्रम में आप के कई छोटे नेता आम आदमी के लिबास में दिखे। अपनी ही सरकार के कार्यों की तारीफ की। इससे पता चलता है कि केजरीवाल की सभाओं व इंटरव्यू में कुछ लोग उनकी तारीफ करने के लिए फिक्स करके रखे जाते हैं।