सिख सम्राट रणजीत सिंह जब तक जीवित थे, तब तक उनके साम्राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध रहा। लेकिन, हिन्दुओं और सिखों के लिए दुर्भाग्य ये रहा कि महाराजा का 1839 में निधन हो गया।
पेटा ने अपना पशु 'प्रेम' दिखाते हुए सिर्फ अवैध या गैर लाइसेंसी बूचड़खानों में होने वाली पशुओं की हत्या पर तथाकथित दुख जताया है। लाइसेंसधारी बूचड़खानों में होने वाली हत्या से उसे कोई परहेज नहीं है।
आरोपितों ने 4 गायों को काटा। एक उन्होंने शीतला माता मंदिर पॉकेट-1 के पास फेंका। दूसरे गाय का अवशेष उन्होंने डी ब्लॉक के पार्क के पास स्थित मंदिर के पास फेंके। इसके अलावा कंचनकुंज के नाले के पास उन्होंने गाय का सिर और बाकी अवशेष फेंके।