मूल रूप से सीकर, राजस्थान के रहने वाले रतन लाल को केंद्र सरकार द्वारा शहीद का दर्जा दिया गया। 42 वर्षीय रतन लाल वर्ष 1998 में दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल के तौर पर नियुक्त हुए थे।
जब दुकान मालिक अनिल पाल पुलिस के साथ अपनी दुकान का हाल जानने वहाँ पहुँचे तो उन्हें मृतक नेगी का शरीर दूसरी मंजिल पर सीढ़ी के पास मिला, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो दंगाइयों को देखकर बिल्डिंग से कूदने की कोशिश कर रहे थे।
दंगों में हुई मौत में अब तक मिली जानकारी के अनुसार सात हिन्दू हैं जबकि कुछ के नाम और पहचान अभी सार्वजनिक होने बाकी हैं। जिन 5 लोगों के बारे में अभी पता नहीं चला है कि उनके नाम क्या हैं, वो हिन्दू भी हो सकते हैं और दूसरे मजहब के भी।
पुलिस ने जब हिंसा प्रभावित इलाकों की ड्रोन कैमरों के जरिए जाँच की तो दिल्ली के शिव विहार इलाके में दिल्ली पुलिस को कई घरों की छतों पर इक्कट्ठे किए हुए पत्थर देखने को मिले। पुलिस अब इन घरों को चिन्हित कर कार्रवाई की बात कह रही है।
AAP के संयोजक मयूर पंघाल (Mayur Panghaal) ने IB अधिकारी को अपमानित करते हुए सोशल मीडिया पर कई अपमानजनक ट्वीट किए। उसने ना सिर्फ मृतक अंकित शर्मा को ठुल्ला कहा, बल्कि यह भी कहा कि मरे हुए ठुल्ले के लिए उसे कोई अफ़सोस नहीं है।
मंगलवार शाम को अंकित शर्मा ड्यूटी से घर लौट रहे थे। बताया जा रहा है कि चाँदबाग पुलिया पर कुछ दंगाइयों ने उन्हें घेर लिया और पीट-पीट कर हत्या कर दी। इसके बाद शव को नाले में फेंक दिया।
दिल्ली की हिंसा छत्तीसिंहपुरा के नरसंहार की याद दिला रही है। तब भी केंद्र में बीजेपी की सरकार थी। भारत-अमेरिका संबंध नया मोड़ ले रहा था। देश की छवि खराब करने की साजिशें तब भी रची गई थी।
शाहरुख ने सोमवार को मौजपुर-जाफराबाद सड़क पर ताबड़तोड़ कई राउंड फायर किए थे। उसने करीब 8 राउंड फायर किए। इस दौरान एक पुलिसवाले ने उसे रोकने की काफी कोशिश की लेकिन वो नहीं रूका और फायर करते रहा।
खम्भात स्थित आनंद जिले के कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक दिव्य मिश्रा ने बताया है कि रविवार को अकबरपुरा इलाके में दोनों समुदायों के बीच 24 जनवरी के दंगे को लेकर मौखिक बहस शुरू हो गई, जो आपस में मारपीट और पथराव में बदल गई।
पीएफआई ने दंगों से पहले 27 बैंक अक़ॉउंट ख़ोले थे। 9 बैंक अकॉउंट रेहाब फाउंडेशन के नाम पर खोले गए थे, जिसका संबंध भी पीएफआई से है। जबकि 37 अन्य अकॉउंट भी इसी संगठन ने 17 अलग-अलग लोगों के नाम और संगठनों के नाम पर खोले थे।