पूतना और होलिका को खलनायिका से नायिका बनाने की कोशिश बाल-हत्या के महिमामंडन की कोशिश है। उसे ब्राह्मणवाद के विरोध के नाम पर ढका नहीं जा सकता। ब्राह्मण तो वे दधीचि थे, जिन्होंने वृत्रासुर को मारने के लिए अपनी अस्थियाँ दे दीं, वज्र का निर्माण करने वास्ते।
पीड़िता छठी में पढ़ती है। उसके पिता की मौत हो चुकी है और अपने मामा के घर रहती है। दो मार्च को समीर खान व समी खान ने उसे जबर्दस्ती पकड़ लिया और दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। घटना के बाद से ही दोनों फरार हैं।
अपने दो छोटे-छोटे बच्चों के लिए दूध लेने निकले दिनेश को मजहबी भीड़ ने मार डाला। उनके भाई ने कहा कि पुलिस हिन्दुओं के पास से एक चाकू मिलने पर भी कार्रवाई करती है, जबकि मुस्लिम घर-घर में हथियार रखते हैं। उन्होंने एक-एक मुस्लिम के घरों की तलाशी लेने की माँग की।
"गुजरात में 2002 में मुस्लिमों के हुए नरसंहार में दलित फुट सोल्जर थे। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं का रेप कर और आदमियों की हत्या करने का घृणित काम किया था। मैं उन पर कभी यकीन नहीं करती।"
शोभा यात्रा के दौरान भद्राचलम नरसिंह स्वामी मंदिर के अर्चक (पुजारी) कृष्ण चैतन्य ने श्रद्धेय तिरुप्पनलवार के चित्रण के रूप में वैष्णव नमम को धारण करने वाले रवि को उठा लिया और उन्हें मंदिर तक ले गए।
राजस्थान के नागौर में दलित युवक के साथ हुई बर्बरता के बाद बाड़मेर जिले में भी एक युवक के साथ इसी तरह की बर्बरतापूर्ण हरकत होने की खबरें आ रहीं हैं, जिसमें मोबाइल फोन चोरी के आरोप में एक युवक के साथ मारपीट और उसके प्राइवेट पार्ट्स में सरिया डालने का आरोप है।
जयपुर से 230 km दूर है नागौर। यहाँ दो भाई बाइक सर्विसिंग के लिए पेट्रोल पंप के पास जाते हैं। वहाँ उन पर चोरी का इल्जाम लगाया जाता है। फिर उनके साथ मारपीट की जाती है - खौफनाक ढंग से। उनके प्राइवेट पार्ट्स में स्क्रू डाइवर डाला जाता है, पेट्रोल से...
मृतक की पत्नी हैंडपप से पानी लेकर बर्तन धो रही थी। कथित तौर पर रेंजर ने जातिसूचक गाली देनी शुरू कर दी। इसका विरोध करने पर एक महिला अधिकारी ने सरोज की बेटी को बाल पकड़ घसीटना शुरू कर दिया। यह देख बीच-बचाव के लिए सरोज का पति दौड़ा, जिसकी गोली मार हत्या कर दी गई।
कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के मीडिया प्रभारी राजीव त्यागी ने उदित राज को लताड़ते हुए कहा कि ब्राह्मण होना पाप नहीं है। उन्होंने उदित राज को चुनौती देते हुए कहा कि वो इस विषय पर किसी के भी साथ बहस करने को तैयार हैं।
जोगेंद्रनाथ मंडल के साथ जो कुछ हुआ वह बताता है कि 'जय भीम-जय मीम' दलितों के छले जाने का ही नारा है। मजहबी उन्मादी उनकी आड़ लेते हैं। कॉन्ग्रेसी और वामपंथी उनकी लाशों पर चढ़ 'मीम' का तुष्टिकरण करते हैं। #CAA के नाम पर जो हो रहा है वह इससे अलग नहीं।