इस मामले में पुलिस और कमलनाथ सरकार पर लापरवाही बरतने के आरोप लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि आरोपितों के समुदाय विशेष से जुड़े होने के कारण मामले को दबाने की कोशिश की गई।
आरोपित कई दिनों से धनिराम को परेशान कर रहे थे। 14 जनवरी की रात उस पर केरोसिन उड़ेल आग लगा दी। आरोपितों के समुदाय विशेष से जुड़े होने के कारण शुरुआत में मामले को दबाने की कोशिश की गई।
अगर मुस्लिमों को एससी कैटेगरी में आरक्षण X% मिलता है तो इसका अर्थ ये है कि उतनी ही संख्या में दलितों का हिस्सा कट जाएगा। क्या शेहला चाहती हैं कि दलितों को अगर मुस्लिमों के साथ रहना है तो उन्हें अपने हिस्से के आरक्षण की कुर्बानी देनी होगी?
आंदोलन का स्टेज सज गया, वक्ता आ गए, लेकिन इससे आंदोलन सफल नहीं कहा जाता। वो न सिर्फ हिंसा भड़काना चाहते हैं, बल्कि अपने ही लोगों से पेट्रोल बम फिंकवाते हैं, और भीड़ को कहते हैं कि देखो ब्राह्मणों ने बम फेंका तुम पर, तुम्हें 5000 सालों से सता रहे हैं, देखते क्या हो, यलगार हो!
"हर धर्म अच्छा है। इस्लाम उनके लिए अच्छा है, हिदूत्व हमारे लिए। हम क्यों परिवर्तित हों। हमारे इलाके में बहुसंख्यक आबादी में लोग राम के भक्त हैं। यहाँ मरघाजी माह में तो हम माँस तक नहीं खाते।"
अमजद और अजगर ने पीटने के बाद दलित से कहा कि वह नीची जाति से है। उसे पठानी सूट पहनने का कोई अधिकार नहीं है। अगर उसने दोबारा पठानी सूट पहना तो वे उसे जान से मार देंगे।
मृतक जसप्रीत के बड़े भाई ने भागकर आरोपितों की बहन से शादी कर ली थी। आरोपितों के परिजनों के मुताबिक वे इस शादी से खुश नहीं थे और चाहते थे कि उनकी बेटी दोबारा इस इलाके में नहीं लौटे।
इस घटना से राज्य के दलित बेहद आक्रोशित हैं। राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने पुलिस से रिपोर्ट मॉंगी है। मृतक युवक की पत्नी ने बताया कि उसके पति के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था।
मैनपुरी पुलिस ने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से प्रियंका गाँधी की फ़र्ज़ी ख़बर का खंडन किया है। कहा कि उन्होंने बेवजह इस मुद्दे को जातिवादी रंग दिया। दो पक्षों के बीच जो झड़प हुई थी वो राजपूत परिवार के बीच हुई थी।
सत्ता के लिए भीम को मीम के साथ आना पड़ा। गेस्टहाउस कांड वाले बुआ-भतीजा हो गए। बात दलितों की कभी हुई ही नहीं, बात हमेशा गणित की, सीट पाने की, सत्ता में पहुँचने की थी। लालू-मुलायम-माया-सोनिया आदि ने दलितों-गरीबों को दलित और गरीब रखने पर विशेष काम किया।