हरविंदर ने दिल्ली के संसद मार्ग स्थित एनडीएमसी सेंटर में एक कार्यक्रम से लौट रहे पवार को 2011 में थप्पड़ जड़ दिया था। इस घटना से कुछ ही दिन पहले उसने पूर्व मंत्री सुखराम पर भी हमला बोला था।
महिला अधिकारी को बचाने के दौरान एक एसएचओ व कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। हमलावर के बारे में अभी कुछ नहीं पता चल सका है, इसकी जाँच जारी है। इस घटना को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयर पर्सन रेखा शर्मा ने जाँच की माँग की है।
यदि वकीलों ने लॉकअप को पहले तोड़ने की कोशिश की और उसमें असफ़ल रहने पर आगजनी का सहारा लिया, जैसा कि एडिशनल डीसीपी (नॉर्थ) का दावा है, तो यह निष्पक्ष और बेहद गंभीर जाँच का विषय होना चाहिए कि यह जेल तोड़ने का प्रयास महज़ गुस्से की अभिव्यक्ति था, या इसके पीछे कोई ठंडे दिमाग से बनाई गई योजना थी।
एक सुप्रीम कोर्ट वकील ने दिल्ली के कमिश्नर अमूल्य पटनायक को क़ानूनी नोटिस भेजा है क्योंकि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
पार्किंग विवाद को लेकर दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट के बाहर वकीलों और पुलिस के बीच हिंसा हुई थी। एक पुलिस कार और 20 अन्य वाहनों को आग लगा दी गई थी। 2 पुलिस वालों को दिल्ली हाई कोर्ट ने सस्पेंड कर दिया था और न्यायिक जाँच के आदेश दे दिए थे।
पुलिस कण्ट्रोल रूम में 940 लोगों ने कॉल कर के अपने इलाक़े में पटाखे फोड़े जाने की शिकायत की। दीपावली के दिन ही 3765 किलो प्रतिबंधित पटाखे जब्त किए गए। इसमें से 1,320 किलो अकेले पूर्वी दिल्ली के एक जनरल स्टोर से जब्त किए गए।
पीएम की भतीजी होने के कारण पुलिस पर झपटमारों को जल्द से जल्द पकड़ने का दबाव बना हुआ था। जिसके चलते पुलिस अपनी ओर से हर मुमकिन कोशिश कर रही थी। पूरे मामले पर आला अधिकारियों की नजर थी और जिला पुलिस, स्पेशल सेल व क्राइम ब्रांच की 20 से ज्यादा टीमें इन्हें दबोचने के लिए प्रयासरत थी।