नक्सली आतंकी प्रसव से पहले ही इस महिला को आलपरस गाँव में छोड़कर चले गए थे। नक्सलियों ने जहाँ उसे मरने के लिए छोड़ दिया, वहीं पुलिस ने मानवीय चेहरा दिखाते हुए उस महिला नक्सली को अस्पताल में भर्री कराया। अस्पताल में जच्चा-बच्चा दोनों का इलाज जारी है।
12 मई, 2019 नक्सलियों ने सीआरपीएफ के निर्माणाधीन भवन को विस्फोट से उड़ाकर अपनी उपस्थिति का अहसास कराया था। हालाँकि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं थी।
उसके सीने के बीचो-बीच में नक्सलियों ने गोली मारी है। मृतक के बारे में जानकारी मिलते ही घर में मातम छा गया। जिसके बाद परिजनों ने इसकी जानकारी नजदीकी पुलिस थाने में दी। मृतक के शव को पखांजुर हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है।
नक्सली लोगों की बेरहमी से हत्या कर रहे हैं। माड़ के एक दर्जन से भी अधिक गाँवों से नक्सलियों द्वारा इस तरह की बंदिशें लगाने की सूचनाएँ आ रही हैं। गाँव के 31 परिवारों को नक्सलियों ने भगा दिया है और वे सभी जिला मुख्यालय में शरण लिए हुए हैं।
मुइया उस हमले का भी मास्टरमाइंड था जिसमें भाजपा विधायक मांडवी और उनके साथ पाँच पुलिस अधिकारियों का जीवन समाप्त हो गया था। विधायक के वाहन में उस समय IED विस्फोट हुआ था, जब वो दंतेवाड़ा ज़िले से गुजर रहे थे।
माओवादी कहीं ना कहीं अब ये बात जान और समझ गए हैं कि 'जल-जंगल-जमीन' का उनका नारा अब प्रासंगिक नहीं रहा है। इनके पोषक ये बात अच्छे से जानते है कि यदि अब यह 3 मुद्दे ही प्रासंगिक नहीं रहे, तो अब माओवंशी किस तरह से अपना अभियान आगे बढ़ाएँ? लोगों के बीच डर पैदा कर के ही ये आतंकवादी संगठन अब प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं।
गढ़चिरौली में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट से सुरक्षा बलों को निशाना बनाया। इस हमले में 15 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। यह घटना तब हुई जब गढ़चिरौली के घने जंगलों के बीच से सी 60 कमांडो यूनिट का दस्ता गुजर रहा था।
यहाँ पर नक्सली पहले भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। गत वर्ष यहाँ सरकारी भवन को विस्फोटक से उड़ाने से लेकर थाने पर हमले की घटनाएँ हो चुकी हैं।
सेक्टर अधिकारी संजुक्ता दिगल चुनाव कराने के लिए एक बूथ की तरफ जा रही थीं। उनके साथ अन्य मतदानकर्मी भी थे। जब उनकी गाड़ी एक जंगल से गुज़र रही थी तो रास्ते में उन्हें कोई संदिग्ध वस्तु पड़ी दिखी। उसकी जाँच के लिए जैसे ही वो लोग उतरे, नक्सलियों ने संजुक्ता को गोली मार दी।