रिपब्लिक ऑफ़ बज़ ने इस खबर का शीर्षक रखा है - "हिंदू मॉब ने 13 साल की एक मुस्लिम लड़की का जाफराबाद में गैंग रेप किया।" इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आरोपित हिंदू भीड़ ने जिस कॉलोनी में दीबा रहती है, वहाँ तबाही मचाई और मुस्लिमों के साथ अत्याचार किए।
भाषण के शुरू में ही मोहन भागवत स्पष्ट कहते सुने जा सकते हैं कि शब्दों का अर्थ बदलता जा रहा है। इसके बाद ही उन्होंने बताया है कि राष्ट्रवाद शब्द के इस्तेमाल करने पर आपके कथन का सीधा अर्थ फासीवाद और नाजीवाद से जोड़ दिया जाता है।
कम बालों वाले प्राणी ने कहा, "मैंने कहा कि वॉलेट है, अब इसमें तुम हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, गूगल, एचडी, क्रोमा, फ्लैट, लीनियर, लहसुन आदि छिड़काव करते हुए हजार शब्दों का आर्टिकल लिखो और साबित करो कि वॉलेट है। और हाँ, मार्च आ रहा है, तुम्हारा इन्क्रीमेंट इसी पर निर्भर करेगा कि ये वॉलेट बन पाता है कि नहीं।"
ट्रेन में हुई सागर नामक व्यक्ति की हत्या के आरोपितों के मुस्लिम होने की खबर में कितनी सच्चाई है? क्या बुरका पहनी औरतों के साथ चल रहे पुरुषों ने ली उसकी जान? जानिए क्या है सच।
किसी वजह से किसी स्वास्तिक में बिंदु न हों तो इसका मतलब ये कतई नहीं है कि वो हिन्दुओं का प्रतीक चिन्ह नहीं है। यह एक बड़ी विडंबना है कि जो लोग हिन्दुओं के लिए अपने मन में घृणा रखते हैं वो बताते हैं कि कौन-सा प्रतीक हिन्दुओं का है और कौन-सा नहीं।
पत्रकार देसाई ने दावा किया कि पूरे स्टेडियम में काले रंग को प्रतिबंधित कर दिया गया है। यहाँ तक कि काले रंग की टीशर्ट या टोपी पहने लोगों को भी अंदर घुसने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि काला रंग 'विरोध का प्रतीक' है, इसीलिए ऐसा किया जा रहा है।
इन तस्वीरों में पुलिसकर्मी "नो सीएए, नो एनआरसी", "वी अपोज एनआरसी एन्ड सीएए", "मासूमों पर लाठीचार्ज अब हमसे न हो पाएगा" और "नो एनआरसी, नो कैब" लिखी तख्तियाँ लेकर धरना देते हुए दिख रहे हैं।
राहुल कंवल के फ़र्ज़ी दावे वाली फ़ोटो का संबंध दूर-दूर तक ABVP या 'ABVP की रैली' से नहीं था। उनके खोखले दावे का सच ख़ुद राहुल कंवल द्वारा शेयर किए गए जनसत्ता के लेख से भी हो गया। इसमें विरोध-प्रदर्शन के लिए स्पष्ट तौर पर आइशी घोष और JNUSU का उल्लेख किया गया था, न कि ABVP का।