यह भय का ही असर है जो अस्पताल में बेड पर कब्जा करने के लिए मजबूर कर रहा है। आवश्यकता न होने के बावजूद ऑक्सीजन सिलेंडर और इंजेक्शन रखने के लिए उकसा रहा है।
"मैं एक बिटकॉइन (लगभग 42 लाख रुपए) डोनेट करना चाहता हूँ, जिससे देश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई में मदद हो सके। यह समय है एकजुट होने का और यह तय करने का कि हमसे जितना हो सके हम जरूरतमंदों की उतनी मदद करें।"
‘वाशिंगटन पोस्ट’ की खबर हो या 'गार्डियन' का संपादकीय, ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ का कवरेज हो या ‘सीएनएन’ की कवरेज, ये सभी बस 'व्हाइट मेन्स बर्डन सिंड्रोम' का ज्वलंत उदाहरण है।