"हमारे पास जो कुछ भी है, उसे बचाने के लिए हमें कश्मीरियों की जरूरत है, हमारा अपना संविधान है, हमारे पास एक ऐसा दर्जा है जो बाहर के लोगों को यहाँ संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं देता है। आज घाटी में जो हालात हैं, वे डरावने हैं, जम्मू कश्मीर बैंक खत्म हो चुका है और धीरे-धीरे वे सब कुछ खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।"
उमर अब्दुल्ला हों या फिर शेहला रशीद, सोशल मीडिया पर अफवाहों और मनगढ़ंत मुद्दों पर अपने प्रलापों की वजह से अक्सर चर्चा में बने रहने वाले इन सभी का कारगिल विजय की वर्षगाँठ पर सन्नाटे में चले जाना तो यही दर्शाता है कि इनकी खुशियाँ और प्राथमिकताएँ अन्य नागरिकों से भिन्न हैं।
उप-ज़िला अस्पताल, बिजबेहारा के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शौकत ने बताया कि अहमद के सीने में गोली के घाव थे और उसे मृत अवस्था में यहाँ लाया गया था। अज्ञात हमलावर ने अहमद की एके-47 भी छीन ली।
महबूबा-अब्दुल्ला कहते हैं कि अमरनाथ यात्रा की वजह से कश्मीरियों को समस्या आ रही हैं, जबकि सच्चाई कुछ और ही है। असल में इस यात्रा की वजह से कश्मीर के कई लोगों का व्यापार चलता है और उन्हें इस यात्रा से रोज़गार मिलता है। नेताओं के बयानों से उलट, अमरनाथ यात्रा कश्मीरियों के लिए वरदान बन कर आती है।
महबूबा मुफ़्ती ने अमरनाथ यात्रा के इंतजामों को कश्मीरी जनता के ख़िलाफ़ बताया। उमर अब्दुल्ला ने यात्रियों के लिए हाइवे बंद करने के आरोप लगाए। सांसद मसूदी ने कहा कि इससे राज्य की इकॉनमी पर ख़राब प्रभाव पड़ रहा। सांसद अकबर लोन ने कहा कि व्यापारियों को दिक्कतें आ रही हैं।
महबूबा मुफ्ती के ट्वीट पर दारुल उलूम जकरिया के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती शरीफ कासमी ने कहा कि यह महबूबा की अपनी सोच है। लेकिन मुस्लिम महिलाओं के लिए बुर्का जरूरी है। बिकिनी या कोई और पहनावे की इस्लाम और शरीयत कतई इजाजत नहीं देता।
ये लड़ाई हवसी मानसिकता को सुधारने की है, लड़कियों को समाज में भोग की वस्तु के बजाय सशक्त बनाने की है... शरिया के लागू होने का सुझाव सिर्फ़ आक्रोश में उचित लग सकता है, लेकिन एक सभ्य समाज में हर अपराध पर ऐसे कानून की बात करना अनुचित है।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती आतंकी मानसिकता वाले शरिया कानून को थोपने की बात कह गईं। चुनावी मौसम में और आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए मुस्लिम वोट बैंक को खुश करने का इससे बेहतर अवसर (या घिनौना?) शायद उन्हें दुबारा नहीं मिलता।