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माओवाद
अपने ही गढ़ में ढेर हुए 8 नक्सली, छत्तीसगढ़ में वामपंथी आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई: 1 जवान बलिदान, ऑपरेशन जारी
अबूझमाड़ के कुतुल, फरसबेड़ा, कोड़तामडता इलाके में संयुक्त नक्सल विरोधी अभियान के तहत पिछले 2 दिनों से पुलिस और नक्सलियों के बीच रूक-रूक कर मुठभेड़ हो रही है।
इस साल 100+ माओवादी ढेर, 400+ ने किया सरेंडर: छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते वामपंथी हिंसा की टूटने लगी कमर, समझिए कैसे काम कर रही...
भारत में लाल आतंक यानी माओवादी हिंसा की वजह से पिछले 2 दशकों में सबसे ज्यादा खून बहा है।
‘माँ-बहनों का सोना लेकर घुसपैठियों में बाँटना चाहती है कॉन्ग्रेस, अर्बन नक्सलियों के चंगुल में पार्टी’: PM मोदी ने याद दिलाया ‘देश की संपत्ति...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कॉन्ग्रेस मां-बहनों का सोना लेकर 'घुसपैठियों को बांटना' चाहती है।
छत्तीसगढ़ में ‘लाल आतंकवाद’ के खिलाफ BSF को बड़ी सफलता: टॉप कमांडर समेत 29 नक्सलियों को किया ढेर, AK-47 के साथ लाइट मशीन गनें...
मुठभेड़ में मारे गए सभी 29 लोग नक्सली हैं। शंकर राव 25 लाख रुपये का इनामी नक्सली था। घटनास्थल से पुलिस को 7 AK27 राइफल के साथ एक इंसास राइफल और तीन LMG बरामद हुई हैं।
60 km पैदल चले 600 कमांडो, 24 घंटे में बना दी पुलिस चौकी: नक्सलियों के गढ़ में 1947 के बाद पहली बार बनी स्थायी...
महाराष्ट्र पुलिस ने गढ़चिरौली जिले के गार्डेवाड़ा में एक पुलिस चौकी सफलतापूर्वक स्थापित की, इसके लिए 600 कमांडो करीब 60 किलोमीटर तक पैदल चले।
1 दिन पहले IED ब्लास्ट, अब छत्तीसगढ़ में मतदान: बस्तर में 60000 सुरक्षा बल सँभालेंगे मोर्चा, बेटिंग एप घोटाले के बीच जानें किन VIP...
छत्तीसगढ़ में मंगलवार को सुबह 7 बजे से ही पहले चरण का मतदान शुरू हो जाएगा। पहले चरण में 20 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है।
माओवादियों ने छत्तीसगढ़ में भाजपा जिला उपाध्यक्ष की हत्या की, AK-47 से सिर में मारी गोली: 5 दिन पहले BJP मंडलाध्यक्ष को कुल्हाड़ी से...
छत्तीसगढ़ में माओवादी एक बार फिर सिर उठा रहे हैं। नारायणपुर जिले में माओवादियों ने भाजपा जिला उपाध्यक्ष सागर साहू की गोली मारकर हत्या कर दी।
कानून उखाड़ फेंकने वाला माओवादी लिटरेचर बाँटते पकड़े गए माकपा के लॉ छात्र शुहैब और थाहा फसल
मामले और आरोपों की की गंभीरता को देखते हुए राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मामले पर नज़र रखने के लिए पंथीरैंकवू थाने पहुँचने शुरू हो गए हैं।
गढ़चिरौली को अब पुलवामा वाली प्रतिक्रिया की ज़रूरत है: निशानदेही और घेर कर वार
माओवादी कहीं ना कहीं अब ये बात जान और समझ गए हैं कि 'जल-जंगल-जमीन' का उनका नारा अब प्रासंगिक नहीं रहा है। इनके पोषक ये बात अच्छे से जानते है कि यदि अब यह 3 मुद्दे ही प्रासंगिक नहीं रहे, तो अब माओवंशी किस तरह से अपना अभियान आगे बढ़ाएँ? लोगों के बीच डर पैदा कर के ही ये आतंकवादी संगठन अब प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं।
वामपंथी आतंकवाद और आईसिस के मजहबी जिहाद में कोई अंतर नहीं, बिलकुल नहीं
मुझे इससे कोई मतलब नहीं है कि फ़लाँ किताब के फ़लाँ चैप्टर में यह लिखा है कि एक मानव की हत्या पूरे मानवता की हत्या है, क्योंकि ये कहने की बातें हैं, इनका वास्तविकता से कोई नाता नहीं है। ये फर्जी बातें हैं जो आतंकियों के हिमायती उनके बचाव में इस्तेमाल करते हैं।