जहॉं भारतीयों के जाने पर प्रतिबंध है, वहॉं से एक दम्पति पवित्र मिट्टी लेकर आया। इस दम्पति की तुलना लोग हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने से कर रहे हैं।
इस पोस्टर पर कई लोगों की प्रतिक्रियाएँ आई हैं। अधिकांश हिंदुओं ने इस बधाई को स्वीकारते हुए बदले में इस फोटो पर जय श्री राम लिखा है। लेकिन कट्टरपंथियों ने.......
“प्रधानमंत्री ने अयोध्या के मंदिर निर्माण कार्यक्रम में शामिल होकर संविधान की अवहेलना की है। उस ज़मीन पर बाबरी मस्जिद थी जिसे हिटलर की फ़ौज से मिलते जुलते लोगों ने तोड़ा था। जो लोग इंसाफ में भरोसा रखते हैं वह किसी न किसी दिन उस मंदिर को मस्जिद में तब्दील कर देंगे।”
पूरे दिन बर्फ की सिल्ली पर बैठा रहा और जलन ऐसी कि 'जिया जले, जाँ जले, सिल्ली पर धुआँ चले' हो गया। जैसे ऊर्ध्वपाती पदार्थ होते हैं न जो ठोस से सीधा गैसीय अवस्था को प्राप्त कर जाते हैं, वैसे ही आप यकीन मानिए कि बर्फ की सिल्ली ठोस बर्फ से सीधे वाष्पीकृत हो रही थी और रत्ती भर भी पानी नहीं बन पा रहा था।
इसमें कई इस्लामी विचारधारा के समर्थक और कॉन्ग्रेसी नेता भी मौजूद हैं, जिन्होंने कानूनी अड़चनों के कारण विलम्ब होने पर अतीत में राम मंदिर निर्माण का मखौल उड़ाया था।