"जो लोग सीएए का विरोध कर रहे हैं, वे शरणार्थी शिविरों की बात क्यों नहीं कर रहे हैं। जो मानवाधिकार की बातें नहीं करते हैं वे ही सीएए के विरोध की बातें कर रहे हैं। शरणार्थी शिविरों को देखना अति कष्टदायी है। यह आँखों में आँसू ला देगा।"
बीजीबी के महानिदेशक ने बताया है कि 2019 में अवैध रूप से सीमा पार करने पर 1000 लोगों को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया। इनमें 445 नवंबर-दिसंबर में आए। पहचान कराने पर सभी घुसपैठियों के बांग्लादेशी होने की बात सामने आई।
केंद्र ने ₹2,000 करोड़ के एक "वन-टाइम सेटेलमेंट" पैकेज की घोषणा की थी। उसे भी यह शरणार्थी इसलिए नहीं ले पाए क्योंकि उनके पास डोमिसाइल सर्टिफ़िकेट नहीं था। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 1.5 लाख परिवार, यानी 10 लाख शरणार्थी आज भी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं।
"केवल सीमित संख्या में शरणार्थियों को रहने देना चाहिए। यूरोप, यूरोपियों के लिए है और अगर अप्रवासी अपने देशों में वापस नहीं भेजे जाते हैं, तो पूरा यूरोप मुस्लिम देश या फिर अफ्रीकी देश बन सकता है।"
अपने देश में सुन्नी समुदाय से उत्पीड़न का सामना करते हुए, अहमदिया सम्प्रदाय के शरणार्थी पाँच साल पहले पाकिस्तान से भागकर यहाँ आए थे। इन शरणार्थियों को यहाँ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की मदद से बसाया गया है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्री शाहिदुल हक ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि उनके देश में मौजूद रोहिंग्या समुदाय के लाखों लोगों की स्वदेश वापसी का संकट बद से बदतर हो गया है।