मुंबई में जब 12 सिलसिलेवार धमाके हुए और सैकड़ों निर्दोष मारे गए तो पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। सूद ने दावा किया कि पवार ने 12 की बजाए एक मस्जिद सहित 13 जगह धमाके होने की बात कह लोगों की आँखों में धूल झोंका। शायद वे पाकिस्तान और दाऊद इब्राहिम से देश का ध्यान भटकाना चाहते थे।
पवार ने कहा कि इस साल के फ़रवरी में हुआ पुलवामा हमला कहीं गुप्त रूप से योजनाबद्ध तो नहीं था। उन्होंने कहा, “मैंने रक्षा में काम किया है। मैंने उस समय कुछ अधिकारियों से बात की और संदेह जताया कि हमला जानबूझकर किया गया था या इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ था।”
कई नेताओं ने पवार का साथ छोड़ दिया है। इनमें से अधिकतर नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं। कई शिवसेना में भी गए हैं। ऐसे में, पवार की ढलती उम्र और गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए एनसीपी अस्तित्व के संकट से जूझ रही है।
शारद पवार ने भाजपा में शामिल होने वाले अपने पूर्व सहयोगियों की भी निंदा करते हुए कहा, "वे कायर हैं... महाराष्ट्र के लोग चुनावों में इस तरह के लोगों को ध्यान में रखेंगे।"
मजहब को टोपी-चादर के नाम पर लुभाने की राजनीति अब देश की सरकार को झूठा बता पाकिस्तानी प्रोपगेंडा को हवा देने तक पहुॅंच गई है। ऐसे लोगों को न तो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद दिखाई दे रहा और न ही बलूचिस्तान का नरसंहार। पूरा का पूरा लिबरल गिरोह और मानवाधिकार के कथित पैरोकार मौन हैं।
"मैं पाकिस्तान गया हूँ। वहाँ के लोगों में मेहमाननवाजी कूट-कूट कर भरी है।पाकिस्तान के बारे में गलत चित्र पेश किया जा रहा है कि वहाँ लोग खुश नहीं हैं। यहाँ (भारत) सरकार राजनीतिक लाभ लेने के लिए पाकिस्तान के बारे में झूठी खबरें फैला रही है।”
पवार ने कहा, "राणे ने कॉन्ग्रेस में शामिल होने का फैसला इसलिए किया क्योंकि पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था। राणे को लगा कि कॉन्ग्रेस वादा पूरा करेगी। मेरे जैसे नेताओं को पता है कि ऐसे वादे केवल फायदे के लिए होते हैं। मैंने कॉन्ग्रेस में लंबा वक्त बिताया है।"
"लोगों को नियंत्रण रेखा और उस क्षेत्र के बारे में कोई समझ नहीं है। यही वजह है कि उन्हें लगता है कि भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बड़ी कार्रवाई की थी। यह सब सिर्फ एक विशेष समुदाय के प्रति विरोध पैदा करने के लिए किया गया था।"
शरद पवार ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि कार्यकर्ता जनता से घर जाकर मिलें और पार्टी का प्रचार शुरू कर दें। उन्होंने कहा ऐसा करने से मतदाता उनसे ये नहीं पूछेंगे कि विधानसभा चुनाव के दौरान आपको हमारी याद क्यों आई।
30 मई को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित हुए शपथ-ग्रहण समारोह में NCP नेता शरद पवार इस नाराजगी के चलते शामिल नहीं हुए थे क्योंकि उन्हें लगा था कि समारोह में उन्हें पाँचवीं पंक्ति में सीट दी गई है। जबकि उनकी सीट V-सेक्शन मतलब VVIP सेक्शन में थी।