"एक प्रचलित वाक्य है- विविधता में एकता। लेकिन हमारा देश एक कदम आगे जाता है। केवल विविधता में एकता नहीं बल्कि एकता की ही विविधता है। हम विविधताओं में एकता नहीं खोज रहे हैं, हम उस एकता को खोज रहे हैं जिससे विविधता निकली है।"
पटना हाईकोर्ट ने यह फैसला सीआरपीएफ के एक पूर्व असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर की अपील पर सुनाया। जिन्होंने कुछ समय पहले पहली पत्नी के साथ गुजर-बसर करने के दौरान ही सीआरपीएफ की एक महिला कॉन्स्टेबल सुनीता उपाध्याय से शादी कर ली थी।
CAA के विरोध में जिस तरह का मजहबी उन्माद आज दिख रहा है, कुछ ऐसा ही 2001 में दिखा था। हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। छोटी-छोटी बच्चियों का रेप किया गया। अगवा कर धर्मांतरण करवाया गया। संपत्ति पर कब्जा कर हिंदुओं की हत्या की गई।
"औरंगज़ेब हिंदुओं का ज़बरन धर्म परिवर्तन करता था। वो लाखों हिंदुओं का क़ातिल है। उसके नाम पर सड़क करोड़ों हिंदू और सिखों की भावना के साथ खिलवाड़ है। उसका नाम सड़कों और किताबों से हटाय जाए।"
"पाकिस्तान में न तो हिंदू लड़कियों को ज्यादा आजादी है और न ही वहाँ पढ़ाई का अच्छा माहौल है। वहाँ खुलकर जिंदगी नहीं जी जा सकती, इसलिए हम बेटियों की परवरिश के लिए भारत आए। आज नागरिकता पाने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे मानों हमारा पुनर्जन्म हुआ हो।"
हिंदुओं की भावना आहत करने के इरादे से मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्ति खंडित करने का ये पहला मामला नहीं है। आगरा के पड़ोसी जिलों से ही कम से कम 15 ऐसी घटना हाल में सामने आ चुकी है।
पिछले दिनों जॉंच में नमृता के कपड़ों और शरीर पर किसी पुरुष डीएनए के सैंपल मिलने की बात सामने आई थी। आखिरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने भी उसकी हत्या किए जाने की बात पर मुहर लगा दी है।
नमृता सिंध के घोटकी शहर से थी, जहाँ हाल ही में एक मंदिर में तोड़फोड़ की गई थी। उसका शव 17 सितंबर को हॉस्टल के कमरे से संदिग्ध हालत में मिली थी। इस मामले में उसके दो सहपाठी गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें से एक नमृता का क्रेडिट कार्ड भी इस्तेमाल करता था।
"बीते चार महीने में 25 से 30 हिंदू लड़कियों का अपहरण हुआ और वे कभी वापस नहीं लौटीं। ये अत्याचार कब तक जारी रहने वाले हैं? हिंदू लोग कब तक लाशें उठाते रहेंगे? कब तक मंदिर जलाए जाते रहेंगे?"
शिवाला तेजा सिंह मंदिर में गुरुवार को हिंदू परंपरा के मुताबिक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दुओं की माँग को देखते हुए पाकिस्तान इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) ने इस मंदिर को खोलने का फैसला किया है।