जोमी चर्च से जुड़े 50 परिवारों के लगभग 250 सदस्य राशन और खाद्य सामग्री से परेशान थे। इस चर्च में ज्यादातर लोग नार्थ-ईस्ट के लोग, खासकर मिजोरम के निवासी हैं और कई वर्षों से दिल्ली में रह रहे हैं।
"अगर तबलीगी लोगों को जान गए तो उन्हें भगवान की तरह पूजोगे। तबलीगियों ने अंग्रेजों को धूल चटाई थी और RSS के मुखबिरों ने अंग्रेजों के पैर की धूल चाटी थी। आरएसएस सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी कर सकता है।"
नंदिता दास का यह बयान अपने आप में गलत नहीं है, क्योंकि सच में भारत में एक महान विभाजन मौजूद है। लेकिन यह स्टेटमेंट किसकी तरफ से आया है जब आप यह सोचते हैं तो मुँह दबा कर हँसते हुए यह सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि आखिर कोई खुलेआम इतना दोमुँहा बर्ताव कैसे कर लेता है।
पूरी दिल्ली में क्राउड मैनेजमेंट के लिए भी काम किया जा रहा है। जैसे, आनंद विहार में जब केजरीवाल सरकार ने हजारों-लाखों मजदूरों को यूपी सीमा पर ढाह दिया, तब वहाँ अफरातफरी मचने पर 250 संघ कार्यकर्ताओं ने जाकर लोगों को सँभालने में पुलिस की मदद की।
ख़ालिदा जिया जम्मू-कश्मीर की उन पाँच महिलाओं में शामिल थीं जिन्होंने सबसे पहले राज्य में कॉन्वेन्ट शिक्षा हासिल की थीं। बढ़ती उम्र के चलते बेशक उनकी गतिविधियाँ कम हो गईं हैं इसके बाद भी वे अपने रूचि के क्षेत्रों तथा सामाजिक सरोकार पर निगाह बनाए रखती हैं।
RSS इस समय सिर्फ़ पाकिस्तानी हिंदुओं को ही नहीं बल्कि जगह-जगह अपनी सेवा गरीबों को प्रदान कर रही है। पिछले दिनों स्वयंसेवकों ने जनता के बीच जाकर उन्हें सुरक्षा के लिए जागरूक किया था और उन्हें मास्क-टोपी मुहैया कराया था।
आप इस वीडियों में देख सकते हैं संघ के स्वयंसेवक हाफ पैंट पहने और हाथों में झाडू लिए केरल के एक अस्पताल में सफाई करने में जुटे हुए हैं। आप इन तस्वीरों और सोशल मीडिया पर आई वीडियो के देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि स्वयंयेवक किस तरह से अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए घरों से बाहर निकलकर लोगों की सेवा में लगे हैं।