कश्मीरी पंडितों के संगठन का मानना है कि मुस्लिम बहुल राज्य को मिले विशेष प्रावधान का जम्मू-कश्मीर को इस्लामिक स्टेट बनाने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा था। ये अनुच्छेद पंडितों की कश्मीर में वापसी में भी बाधक थे।
"पाकिस्तानी सेना और सरकार पर भरोसा करना बंद करें। दोनों पिछले 72 वर्षों से आपको धोखा दे रहे हैं। कुछ सेना के लोग नारे लगा रहे हैं कि कश्मीर का पाकिस्तान में विलय कर देंगे और हम आजादी लेंगे, लेकिन आजादी का सही मतलब यह नहीं है। "
स्वतंत्रता दिवस के जश्न में निकाले गए इस परेड में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के समर्थन में बैनर भी दिखे। बैनर में आर्टिकल 370 का हटना कश्मीर के लिए अच्छा बताया गया है। बैनर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के लिए धन्यवाद भी लिखा हुआ है।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार का फैसला संवैधानिक प्रावधानों के तहत ''व्यापक अनुसंधान" के बाद लिया गया है और यह किसी भी कानूनी चुनौती का सामना कर सकता है।
दहशतगर्दी के शुरुआती दिनों में आतंकियों को हीरो समझा जाता था। उन्हें मुजाहिद कहकर सम्मान भी दिया जाता था। लोग अपनी बेटियों की शादी इनसे करवाते थे लेकिन जल्दी ही कश्मीरियों को यह एहसास हुआ कि आज़ादी की बंदूक थामे ये लड़ाके असल में जिस्म को नोचने वाले भेड़िये हैं।
वामपंथी एक्टिविस्ट कविता कृष्णन ने सोशल मीडिया में वायरल हुए अपने लीक ईमेल में भी कपिल काक, जस्टिस शाह के बारे में बात की है। लीक मेल में जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मिला विशेष दर्जा हटने के विरोध की रणनीति का ब्यौरा मौजूद है।
खुसरो की कविताओं से पहले कल्हण की राजतरंगिणी को याद करना जरूरी है, जिसमें कश्मीर को 'कश्यपमेरू' बताया गया है। कहा जाता है कि महर्षि कश्यप श्रीनगर से तीन मील दूर हरि-पर्वत पर रहते थे। जहाँ आजकल कश्मीर की घाटी है, वहाँ अति प्राचीन प्रागैतिहासिक काल में एक बहुत बड़ी झील थी, जिसके पानी को निकाल कर महर्षि कश्यप ने इस स्थान को मनुष्यों के बसने योग्य बनाया था।
अगर 14 अगस्त को शाह फैसल दिल्ली में नहीं रोके गए होते तो वह इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में भारत के खिलाफ मामला दर्ज करा चुके होते। हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मुताबिक कोई भी आम आदमी निजी हैसियत से ICJ में केस दायर नहीं कर सकता है।
कुरैशी ने कहा, "दुनिया का ध्यान कश्मीर से भटकाने के लिए भारत किसी मिसएडवेंचर को अंजाम दे सकता है। पाकिस्तानी सेना और इसका मुकाबला करने के लिए तैयार है। अगर भारत की तरफ से कोई भी मिसएडवेंचर होता है तो माकूल जवाब दिया जाएगा।"
आलिया अब्दुल्ला ने बोलने के संवैधानिक अधिकार को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकार को घाटी के राजनेताओं से अपनी भाषा बोलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए और उनके (घाटी के नेताओं) विचारों का सम्मान करना चाहिए।