'ग्वेरावादियों' ने ऐसी किसी भी चीज़ से मुँह मोड़ लिया, जो ग्वेरा की आदर्श छवि के साथ फिट नहीं बैठती। ग्वेरा निश्चित ही एक जल्लाद था। उसकी नजरों में इंसानों की मौत कुछ भी नहीं थी।
सोमनाथ के अपमान से क्रुद्ध राजा भोज के हमले के बाद महमूद गजनवी तो रेगिस्तान में भाग खड़ा हुआ लेकिन उसके बेटे सालार मसूद को मौत के घाट उतार दिया गया, तब इस मंदिर का निर्माण हुआ था।