घटना गाजियाबाद के मुरादनगर की है। बच्चा अपने जीजा के साथ ईदगाह मार्ग से गुजर रहा था। तभी कार में सवार कुछ युवक आए और बच्चे को बुलाया। उससे सिगरेट लाने को कहा। इनकार करने पर पिस्टल निकाली और गोली मार दी।
गिरफ़्तार अहमद सिद्दीकी ख़ुद को 'कोरोना वाले बाबा' बताता था और साथ ही दावा करता था कि वो ताबीज से उन लोगों को कोरोना वायरस से बचाने का माध्यम दे सकता है, जिन्होंने मास्क नहीं पहना हो। उसके दावे मेडिकल की दुनिया और वैज्ञानिक तर्कों को हवा-हवाई बताते करते हुए अन्धविश्वास फैला रहे थे।
नौशाबा कुछ दिनों से अपनी तकरीबन डेढ़ माह की बच्ची को लेकर प्रदर्शन में शामिल हो रही थी। कई बार उसने प्रदर्शन स्थल पर रात में भी रुकने की कोशिश की थी। शुक्रवार को मासूम बच्ची की इंतकाल की खबर आई।
हाजी अलीम 9 अक्टूबर 2018 की रात अपने कमरे में मृत मिले थे। पारिवारिक विवाद में अनस ने अपने पिता की हत्या कराई थी। हत्या में दो और लोगों के नाम भी सामने आए हैं।
रामचरित्र की नाबालिग बेटी दीपा ने बताया कि 14 फरवरी को उनके पालतू कुत्ते ने उनके पड़ोसी शब्बीर के पोते को काट लिया था। शब्बीर का परिवार इस घटना से नाराज था और उन्होंने आरोप लगाया था कि रामचरित्र के परिवार ने जानबूझकर अपने कुत्ते से शब्बीर के पोते पर हमला करवाया था। दीपा ने बताया कि 8 मार्च को शब्बीर के परिवार ने मौका पाकर कुत्ते पर हमला किया और उसे पीट-पीटकर मार डाला।
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 4 मार्च को सेंगर समेत 7 लोगों को इस मामले में दोषी करार दिया था। सेंगर के साथ ही अन्य दोषियों को भी 10 साल की सजा सुनाई गई है। पीड़िता के पिता की मृत्यु 9 अप्रैल 2018 को पुलिस हिरासत में हो गई थी।
लखनऊ के इन दंगों में आरोपित 57 लोगों के नाम उनके पते साथ होर्डिंग्स बनवाकर शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर लगाए गए थे। यह सभी आरोपित लखनऊ के हसनगंज, हजरतगंज, कैसरबाग और ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के हैं। बता दें कि पहले ही प्रशासन ने 1.55 करोड़ रुपए की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के लिए इनको वसूली के नोटिस जारी किए गए थे।
शाहीन और खालिद एक-दूसरे के प्यार में थे। लेकिन, मुबारक ने अपनी बेटी का निकाह गुड्डू से करवा दिया। गुड्डू और खालिद के घर आमने-सामने ही थे। एक दिन शाहीन ससुराल से निकली और खालिद के घर...
शलभ मणि त्रिपाठी का कहना है कि हम इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश की जाँच कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे कानून के जानकार यह भी जाँच कर रहे हैं कि पोस्टर हटाने के लिए किस आधार पर यह आदेश जारी किया गया है।