रंगोली चंदेल ने दो हैरान करने वाले खुलासे किए हैं। इनमें से एक कंगना के करियर के शुरुआती दिनों की है। दूसरी तब की है जब उनका अभिनेता ऋतिक रोशन से झगड़ा चल रहा था।
"आलिया भट्ट अपनी अगली फ़िल्म में वेश्याओं की दलाल का रोल प्ले कर रही हैं, जो गंगू बाई के जीवन पर आधारित है। गंगू बड़े गैगस्टर्स को लड़कियाँ सप्लाई करती थी और कहा जाता है कि वो देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भी दोस्त थी। आलिया को फिर अवॉर्ड मिल जाएगा।"
कंगना रनौत 'महिला-विरोधी' हैं, क्योंकि वो बलात्कारियों का समर्थन नहीं करतीं। वामपंथी गैंग नाराज़ है, क्योंकि वो चाहता है कि कंगना अँग्रेजों के तलवे चाटे और महाभारत को 'मिथक' बताएँ। न्यूज़लॉन्ड्री निर्भया की माँ को उपदेश देकर कह रहा है ये 'न्याय' नहीं बल्कि 'बदला' है।
"वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने जिस तरह से मुझसे सवाल किया। ये मानव अधिकारों के नाम पर समाज को धोखा देना है। बच्चियों के साथ हो रहे अपराधों का मज़ाक बनाना है। ये मानव अधिकारों के नाम पर बिज़नेस चलाते हैं और सिर्फ़ और सिर्फ़ मुजरिमों को सपोर्ट करते हैं।"
"इस घटना में एक दोषी नाबालिग था, जो रेप करता है। जो रेप करने के काबिल है उसे किस हिसाब से नाबालिग बताया जा सकता है। ऐसे लोगों को चौराहे पर फाँसी दे देनी चाहिए। ऐसे दोषियों को पता होना चाहिए कि रेप क्या होता है और इसकी सजा क्या होती है।"
"मैं कभी भी टुकड़े गैंग के साथ खड़ी नहीं होती। मैं ऐसे किसी भी शख्स का सपोर्ट नहीं कर सकती, जो देश को तोड़ने की बातें करता हो। मैं सिर्फ अपनी बात कर सकती हूँ, किसी और के बारे में बोलने का मुझे अधिकार नहीं है।"
#shameonbolllywood को सही बताते हुए कंगना ने बॉलीवुड कलाकारों पर निशाना साधा और कहा कि उनकी नजर में सभी सेलेब्रिटीज डरे हुए इंसान हैं, वे हर चीज से डरते हैं, वे डरपोक हैं, कायर हैं और बिना रीढ़ के लोग हैं।
जवाबी पत्र में 61 हस्तियों ने कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री को खत लिखने वाले 49 लोगों से पूछा है कि वे तब क्यों चुप रहते हैं जब जय श्रीराम कहने पर लोगों को जेल में डाल दिया जाता है? जब कैराना से हिंदू पलायन करते हैं?
बॉलीवुड में अच्छा रूतबा रखने वाले सेलेब्स ने मीडिया को न जाने कितनी बार ज़लील किया लेकिन मजाल है कि किसी पत्रकार ने उफ़ तक किया हो! सुदूर पहाड़ी कस्बे से आई एक सेल्फ-मेड महिला ने आइना क्या दिखा दिया, गिरोह के गठन की ज़रूरत आन पड़ी!
जबरन ब्रम्हचर्य को किसी सामाजिक संस्था पर थोप देना, जिसका मुख्य उद्देश्य कुछ और है, वैसे ही हानिकारक परिणाम देगा, जैसे गलत तरीके से किए गए योग के आसनों से होगा। इसे जबरन लोगों पर थोपने के नतीजे बिलकुल वैसे ही होंगे जैसे चर्च के लिए हुए हैं।