दरअसल द प्रिंट और शिवम विज का सोचना यह है कि एक दशक पुरानी बात, जब समय और परिस्थितियाँ अलग थीं, उस समय की घटनाओं और परिस्थितियों का हवाला देते हुए आज के समय में वो अपने प्रोपेगेंडा को फैलाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 से ही एक पब्लिक नोटिफिकेशन के ज़रिए उसे निरस्त करने की शक्ति मिली हुई थी। साथ ही कहा गया है कि यह एक अस्थाई प्रावधान था जिसे जोड़ने का मकसद राज्य में शांति, सुरक्षा और कानून व्यवस्था था।
कैलिफोर्निया के कमिश्नर अविंदर चावला ने कहा कि मोदी सरकार ने सिखों के कल्याण के लिए सराहनीय प्रयास किए हैं। खास तौर पर करतापुर कॉरिडोर खोले जाने को लेकर भारत सरकार के प्रयासों के लिए प्रवासी सिखों ने प्रसन्नता व्यक्त की और उनका शुक्रिया अदा किया।
"वॉशिंगटन पोस्ट की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग में इस सच को नजरअंदाज किया गया कि अनुच्छेद 370 और 35ए के कारण अल्पसंख्यक, महिलाएँ और समाज के कमजोर वर्ग के लोग लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित रहे जबकि कश्मीर भ्रष्टाचार, अलगावववाद की जमीन बन गई।"
"अनुच्छेद 370 में इन संशोधनों की आवश्यकता थी, क्योंकि इसके कारण लगभग सभी कश्मीरी अल्पसंख्यकों (जैसे शिया, दलित, गुर्जर, कश्मीरी पंडित, कश्मीरी सिखों) के साथ हद से ज्यादा भेदभाव हो रहा था। लेकिन अब उन्हें कानून के समक्ष बराबरी का अवसर मिलेगा।"
कश्मीरी पंडितों के संगठन का मानना है कि मुस्लिम बहुल राज्य को मिले विशेष प्रावधान का जम्मू-कश्मीर को इस्लामिक स्टेट बनाने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा था। ये अनुच्छेद पंडितों की कश्मीर में वापसी में भी बाधक थे।
The Kashmir Files की शूटिंग कश्मीर में ही होगी। यह प्रधानमंत्री की उस अपील के मुताबिक होगा, जिसमें उन्होंने मनोरंजन उद्योग से कश्मीर में शूटिंग को बढ़ावा देने की गुज़ारिश की थी।
लगभग एक हफ़्ते की यात्रा में यह सभी यात्रीगण राज्यपाल सत्यपाल मलिक के ख़ास मेहमान होंगे। सुरक्षा की बात की जाए तो छ: वॉल्वो बसों में यात्रियों की सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए गए हैं।