“किसानों का कर्ज पूरी तरह से माफ नहीं किया गया है। केवल 50 हजार रुपए का कर्ज माफ किया गया है, जबकि हमने कहा था कि 2 लाख तक का कर्ज माफ किया जाएगा। 2 लाख रुपए तक के कर्ज को माफ किया जाना चाहिए।”
जेपी ने अव्यवहारिक राजनीति की, वे ऐसी मसीहाई भूमिका में आ गए थे, जो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई और अपने ही लोगों के खिलाफ लड़ाई को एक ही तराजू में तौल रहे थे। उन्हें उम्र के उस अंतिम पड़ाव में जरा भी भान नहीं हुआ कि जो लोग उनकी पालकी उठा रहे हैं, उनकी मंशा क्या है?
आईटी विभाग ने कहा कि आज भी बेंगलुरु में सिद्धार्थ मेडिकल कॉलेज के परिसर में छापेमारी जारी रहेगी। यह मेडिकल कॉलेज जी परमेश्वर से संबंधित ट्रस्ट के जरिए चलाया जाता है। इसके अलावा जी परमेश्वर के भाई के बेटे आनंद के घर पर भी छापा पड़ा है।
साल 2017 में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था, जब भारत-चीन सीमा पर डोकलाम विवाद हुआ था। दोनों देशों के संबंधों के बीच मतभेद गहरा गए थे मगर ऐसे माहौल में अचम्भा तब हुआ था, जब राहुल गाँधी के एक चीनी राजदूत से मिलने की खबर आई थी।
सांसद राजेश मिश्रा ने पार्टी को देश के मौजूदा राजनीतिक परिवेश में आत्ममंथन करने की सलाह देते हुए महासचिव प्रियंका गाँधी के सलाहकार का दायित्व संभालने से इनकार कर दिया है। राजेश मिश्रा ने कहा कि उनकी हैसियत प्रियंका गाँधी को सलाह देने की नहीं है ।
दिलप्रीत सिंह ने 6 अक्टूबर को आलमबाग रेलवे कॉलोनी में आयोजित रामलीला में एक भाषण में लोगों को संबोधित करते हुए राज्य में आगामी उप-चुनावों में उन्हें और उनकी पार्टी को वोट देने की अपील की थी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बीएच कपाड़िया ने मई में भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर एक शिकायत को स्वीकार करने के बाद राहुल गाँधी को समन जारी किया था। अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए पहली नजर में इसे राहुल गाँधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला माना।
एसपी को दी तहरीर में पूर्व कॉन्ग्रेस नेता ने कहा है कि वह सांसद और उनके बेटे के विरुद्ध मुकदमों और भ्रष्टाचार के मामलों में प्रभावी कार्रवाई करने के लिए शिकायत करते रहे हैं। सांसद के सताए लोगों की पैरवी करते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सीबीआइ, ईडी, मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन को कई बार पत्र भी लिखे।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब पार्टी चुनाव में उतरने वाली हो, तब इस तरह की टिप्पणियाँ कॉन्ग्रेस को फायदा पहुँचाने वाली नहीं हैं। बाहर बयानबाजी करने की बजाए खुर्शीद को अपनी राय पार्टी के भीतर ही जाहिर करनी चाहिए।
समय के फेर देखिए। जब सुनील दत्त को अनसुना कर संजय निरुपम को कॉन्ग्रेस में लाया गया तब सोनिया गॉंधी पार्टी की अध्यक्ष हुआ करती थीं। सुनील दत्त के जाने के 14 साल बाद जब वही निरुपम पार्टी को आँखें दिखा रहे हैं तो सोनिया ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं!