Monday, November 18, 2024

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‘द वायर’ और CAA विरोधियों का संदिग्ध गठजोड़: भारत के आंतरिक मुद्दों में क्यों हस्तक्षेप कर रहे हैं अमेरिकी नागरिक वरदराजन

एआईसी एक ऐसा संगठन है, जो भारत में सीएए प्रदर्शनों को भड़का रहा था। इसका गठजोड़ 'द वायर' के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से था।

‘द वायर’ की आरफा खानम ने अमरोहा मामले में फैलाया फेक न्यूज, यूपी पुलिस ने दिया आवश्यक कार्रवाई का निर्देश

अमरोहा पुलिस ने आरफा खानम शेरवानी द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का खुलासा किया और साथ ही उन्होंने पत्रकार के खिलाफ आगे की आवश्यक कार्यवाही के लिए साईबर सेल को अवगत कराया, ताकि वो इस पर उपयुक्त कार्रवाई कर सकें।

प्रिय वामपंथियो! अपनी खून की प्यास को सही ठहराने के लिए माँ के गर्भ का ‘इस्तेमाल’ बंद करो

आखिर क्यों न किया जाए सफूरा से सवाल? दिल्ली दंगे क्या कोई फिल्मी सीन था, जिन्हें स्मृतियों से डिलीट कर दें? या कोई काल्पनिक घटना थी, जिसे...

द वायर ने बिना अनुमति के इस्तेमाल की तस्वीर, चोरी पकड़े जाने पर माँगी आधी-अधूरी माफी

द वायर का कॉपीराइट सामग्री को चुराने का पुराना इतिहास रहा है, इससे पहले राज्यसभा टीवी ने भी वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट को इस मामले में नोटिस भेजा था।

भारतीय मीडिया में विदेशी संपादक… देश-विरोधी बातें छापना और प्रोपेगेंडा फैलाना है जिसका एकमात्र काम

सही मायने में भारत को अगर किसी से खतरा है तो वो यही फेक न्यूज और प्रोपेगेंडा चलाने वालों तथा देश का अपमान करने वाले सम्पादकों से है जो...

रवीश ने 2 दिन में शेयर किए 2 फेक न्यूज! एक के लिए कहा: इसे हिन्दी के लाखों पाठकों तक पहुँचा दें

NDTV के पत्रकार रवीश कुमार ने 2 दिन में फेसबुक पर दो बार फेक न्यूज़ शेयर किया। दोनों ही बार फैक्ट-चेक होने के कारण उनकी पोल खुल गई। फिर भी...

सोनिया गाँधी की खास रहीं IAS के दावे पर द वायर ने गढ़ा झूठ: PIB ने वेंटिलेटर रिपोर्ट पर कारस्तानी पकड़ी

अहमदाबाद वेंटिलेटर मामले में द वायर के झूठ की पोल खुद पीआईबी ने फैक्टचेक कर खोली है।

जलील हुआ द वायर: सफूरा जरगर पर फर्जी, उन्मादी रिपोर्टिंग के लिए दिल्ली पुलिस ने लगाई फटकार

द वायर ने 'दिल्ली सांप्रदायिक हिंसा: गर्भवती सफूरा को जेल, गन सप्लायर सिरोही को बेल' शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में भ्रामक दावे किए थे।

पालघर पर वायर की कारस्तानी: पहले कहा भीड़ हिंसा के शिकार साधु हिंदू नहीं, फिर चुपचाप बदल दी रिपोर्ट

महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल 2020 को दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ ने निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी।

कलम के आतंकी बम-बन्दूक वालों को आतंकवादी क्यों नहीं लिखते?

आखिर 'जमात-ए-प्रोपेगेंडा' यानी, द वायर, क्विंट, NDTV, बीबीसी आदि आतंकवादियों के नाम के आगे 'आतंकी' क्यों नहीं लिखते हैं?

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