सोमवार (मई 27, 2019) को मीडिया से बात करते हुए महेश्वर यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि राजद परिवारवाद के चक्कर में उलझी हुई है। इसी वजह से पार्टी की इतनी दुर्गति हुई।
नीतीश कुमार की जदयू ने इस लोकसभा चुनाव में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से उसे 16 पर जीत मिली। बिहार में राजग ने एक तरह से महागठबंधन का सफाया ही कर दिया। रालोसपा की स्थापना उपेंद्र कुशवाहा ने 2013 में जदयू से अलग होने के बाद की थी।
पूरे बिहार की बात करें, तो नोटा का बटन सर्वाधिक गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र में 51,660 मतदाताओं ने दबाया, जो देश में सबसे ज्यादा है। इस सीट पर जदयू के अजय कुमार सुमन को जीत मिली, जिन्होंने राजद उम्मीदवार सुरेंद्र राम को 2.86 लाख वोटों से शिकस्त दी।
एडीजी कुंदन कृष्णन ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के हिंसा भड़काने वाले विवादास्पद बयान की जाँच हो रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस कुशवाहा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी और अगर इस बयान से किसी तरह की हिंसा हुई, तो इसके जिम्मेदार उपेंद्र कुशवाहा होंगे।
एग्जिट पोल को ‘गप’ करार देने से शुरू हुआ विपक्ष का स्तर अब खुलेआम हिंसा करने और खून बहाने तक आ गया है। उपेंद्र कुशवाहा ने मतदान परिणाम मनमुताबिक न होने पर सड़कों पर खून बहा देने की धमकी दी है। इस संभावित हिंसा का ठीकरा वे नीतीश और केंद्र की मोदी सरकार के सर भी फोड़ा है।
पार्टी में ही इस तरह से खुलेआम विरोध को देखते हुए जदयू का अपने इन बागी नेताओं पर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव के बाद क्या होता है।
"साल 2000 में तत्कालीन विधायक एवं मंत्री के सामने उस बूथ को लूटा गया था और उनकी काफी बेइज्जती की गई थी। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि फिर वहाँ पर हिंदू वोटर कभी वोट डालने नहीं गए। लेकिन, इस बार नरेंद्र मोदी जी को वोट डालने सभी लोग बाहर निकले। पर उनके मताधिकार का..."
बिहार में जाति के आधार पर कैसे खेल खेला जाता है, इसे उम्मीदवारों के दाँव-पेंच के साथ इस उदाहरण द्वारा समझिए, ये आपको कहीं भी नहीं पता चलेगा, इस पूरी प्रक्रिया को समझने के लिए आपको बिहार की राजनीति, समाज और सोच में घुली-मिली पूरी व्यवस्था को समझना पड़ेगा।
ज़िले में इतना बड़ा क़द रखने के बावजूद अगर उनकी हत्या की नौबत आ जाती है और हमलावरों की भीड़ में समुदाय विशेष के होने की बात मीडिया एवं प्रशासन द्वारा छिपाई जाती है (सांसद के दावे के अनुसार), तो यह एक बहुत ही गंभीर मामला है। सांसद की तरफ से ऑपइंडिया को बताया गया कि हमलावरों में 90% समुदाय विशेष से थे।