अमित मालवीय ने भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या के सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी के संबधों का भी जिक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि एक अन्य भगोड़ा कारोबारी नीरव मोदी की ब्राइडल ज्वेलरी कलेक्शन का उद्घाटन राहुल गाँधी ने किया था और अब राणा कपूर से प्रियंका गाँधी के तार जुड़ते नज़र आ रहे हैं।
जब कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी सहित राजीव गाँधी के परिवार ने दोषियों को 'माफ' कर दिया और कहा कि हत्यारों को रिहा करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, तो राजीव गाँधी के साथ मरने वालों के परिजन उनके इस कदम से खुश नहीं थे। राजीव गाँधी के साथ जान गँवाने वालों 13 लोगों के परिजनों की तरफ से सोनिया गाँधी या उनके बच्चे कैसे फैसला ले सकते हैं?
कुछ लोगों ने महात्मा गाँधी का नाम भी सुझाया तो छात्रों ने यह कहकर इसे ख़ारिज किया कि वाराणसी में पहले से ही महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ है। उन्होंने कहा कि सावरकर का नाम भी चल सकता है क्योंकि वो भी महामना के सहयोगी रहे हैं।
सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का बयान भी इस आरोप की पुष्टि करता है कि अगर राजीव गाँधी ने कॉन्ग्रेस नेताओं के नेतृत्व में किए जा रहे दंगे को रोकने के लिए सेना को बुलाने की अपील पर ध्यान दिया होता तो 1984 के सिख नरसंहार को रोका जा सकता था।
इंदिरा गाँधी के मामले में स्वामी ने दावा किया कि इंदिरा गाँधी ने अपनी राजनीतिक छवि के चक्कर में अपने सुरक्षा कर्मियों के आतंकी गुटों से मिल जाने की रिपोर्ट के बाद भी सुरक्षा कर्मी नहीं बदले।
कॉन्ग्रेस कहती है कि वह धार्मिक भावनाओं को तवज्जो नहीं देती। फिर क्या कारण था कि अचानक राजीव गॉंधी हिंदू जनभावना के रथ पर सवार होने को बेचैन हो उठे? इसके लिए वे देवरहा बाबा के पास हाजिरी देने से भी पीछे नहीं हटे।
ऑपरेशन ख़त्म होते ही जीवनाथन गायब हो गए। उन्होंने अपने अंतर्गत कार्य कर रहे लोगों से साफ़ कह दिया कि वे ऐसा समझें कि कोई जीवनाथन था ही नहीं। नेपाल के कई नेता जीवनाथन को खोजते हुए भटक रहे थे लेकिन जीवनाथन तो कोई था ही नहीं।
अगर भाजपा ने किसी स्वतंत्रता सेनानी या किसी महापुरुष को लेकर ऐसा निर्णय लिया होता तो कई लोग बवाल खड़ा करते हुए कहते कि सरकार पाठ्यक्रम से छेड़छाड़ कर रही है या उसका भगवाकरण कर रही है।
1984 में अपनी माँ इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए आम चुनावों में राजीव गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस को 404 सीटें मिलीं थीं, और जनसंघ को पुनर्जीवित कर बनी भाजपा महज़ 2 सीटों पर सिमट गई थी। सोनिया गाँधी ने उन्हीं चुनावों को याद कराते हुए कहा कि......
कभी दिल्ली के राजीव चौक पर हो जाता है, तो कभी राजस्थान के सचिवालय में हो जाता है, कभी-कभी तो संसद में भी चल पड़ा था। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं कि एक बार गलती से चला दो और दूसरी बार जाँच करने के लिए। हालाँकि, जो भी हुआ उसमें डिजिटल इंडिया और दैनिक सस्ते इंटरनेट की छाप तो है ही, चाहे गोदी मीडिया कितना भी छुपाने की कोशिश करे।