मलाला का न्यूज़ीलैंड के मुद्दे पर दुख प्रकट करना और रवीना और रीना पर शांत हो जाना दिखाता है कि इंसान कितना ही प्रोग्रेसिव क्यों न हो जाए, लेकिन उसके भीतर मज़हब, और मज़हब का डर हमेशा जिंदा रहता है।
एक तरफ़ जहाँ बेसागाराहल्ली थाना क्षेत्र में विभिन्न गाँवों में उपद्रवी तत्वों ने मंदिरों में तोड़-फोड़ करते हुए मूर्तियों को नुकसान पहुँचाया है। वहीं दूसरी ओर इलाके में सांप्रदायिक तनाव भी फै़ल गया है
भावनाएँ आहत होना हमारा राष्ट्रीय उद्योग बन चुका है, और सुप्रीम कोर्ट का हर भावना को बचाने के लिए समय निकाल कर दही हाँडी की ऊँचाई से लेकर जलीकट्टू के सांड की सींग और होली के पानी तक के प्रयास का आम जनता जबरदस्ती सम्मान करती रही है।