"हमारा जुमा है, अगर जुमा तक गिरफ्तारी नहीं हुई तो फिर हम बहुत... जो एक्शन कहीं भी नहीं हुआ होगा, वो होगा। अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि ये माहौल न बिगड़ने दे वरना जुमा है, कुछ भी हो सकता है। "
"मेरे टोपी वाले भाइयों, कब निकलेंगे टोपियाँ पहन-पहनकर सड़क पर। हम 2 दिन सड़क पर उतर आएँ तो हिन्दुस्तान पूरा बंद हो जाए। खाली निकलना है सड़क पर। चालीस करोड़ लोग हैं हम, वैध और अवैध मिलाकर... एक बार निकलना है खाली।"
2019 आ गया है। दिल्ली इस तरह की घटनाओं से बुरी तरह से प्रभावित है। किसे दोषी ठहराया जाए? वोट बैंक की राजनीति? आज भी अविश्वास का भाव बना रहता है। तो क्या हौज़ काज़ी, मेरठ, आगरा, मुज़फ़्फ़रनगर, हरियाणा, सूरत, पश्चिम बंगाल और अन्य ऐसी जगहों पर हिंदू परिवारों को उनके साथ रहना चाहिए, जहाँ दूसरे मजहब की आबादी काफी है और जहाँ अब सड़कों पर उन्मादी और अराजक भीड़ निकल रही है।
दिन में 5 बार लाउडस्पीकर से अजान देने वालों को मंदिर में 2 बार भजन बजाने से आपत्ति कैसे हो जाती है? ये किस तरह की सोच है कि तुम्हारे लाउडस्पीकर से आती आवाज़ इलाके का हर कान, चाहे या न चाहे सुनेगा ही, लेकिन दूसरे समुदाय ने भजन बजाया तो तुम मंदिर में घुस कर मूर्ति उखाड़ कर ले जाते हो!
सीसीटीवी फुटेज में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि ब्लैक हुडी पहने एक शख्स हाथ में क्रिकेट बैट या फिर हॉकी स्टिक लेकर आता है और उन मूर्तियों पर भयानक तरीके से प्रहार करता है।
दिल्ली के चांदनी चौक में मंदिर तोड़-फोड़ अपने-आप में अनोखी घटना हुई हो, ऐसा नहीं है। मंदिरों को तोड़ने, उत्पात मचाने और हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने की घटनाएँ हर सप्ताह घटित होती हैं। हालाँकि वामी मीडिया इसे अपने प्रोपेगेंडा के कारण दबा देती है। इसलिए जून 2019 से लेकर अब तक की 10 ऐसी घटनाएँ आपके लिए...
वसीम ने कहा, " इस मंदिर को जड़ से उखाड़ दो, जब मंदिर ही नहीं बचेगा तो विवाद खत्म हो जाएगा।" उस पर यह भी आरोप है कि उसने वहाँ बचे-खुचे एक-दो घरों में बसे हिंदुओं को भी भगा देने और घर पर कब्जा कर लेने की भी ललकार लगाई।
दंगाई भीड़ ने हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं और आम लोगों की पिटाई कर दी। यहाँ तक कि बच्चों को भी नहीं बख़्शा गया। हिन्दू समुदाय के लोगों का आरोप है कि पुलिस ने दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की।