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छीना नहीं… कानूनन लिया!
हिंदुओं के नाम पर देश का नाम हिंदुस्तान। बहुसंख्यक भी हिंदू ही। फिर भी अयोध्या की लड़ाई कोर्ट में लड़ी गई। देश के संविधान पर भरोसा रख कर राम मंदिर के लिए न्याय के तर्क गढ़े गए। इसमें धर्म, ग्रंथ, साहित्य, इतिहास… सबने साथ दिया राम लला का ही। भव्य मंदिर हिंदुओं की इसी सहनशीलता का प्रतीक है।
जिन-जिन सुधीजनों ने रामलला के लिए कोर्ट में तर्क रखे, दिन-महीने-साल तक अयोध्या केस के बारे में गहन अध्ययन किया, न्यायालय में कब-कब क्या-क्या हुआ… यहाँ मिलेंगी आपको सारी खबरें।
वराह, कमल, विक्रमादित्य, हाथी: राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में फॅंसीं बाबरी मस्जिद की पैरोकार
एएसआई की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट के सवालों का साफ-साफ जवाब नहीं दे पाईं मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा। कमल के निशान, खुदाई में वराह की मूर्ति मिलने जैसे कई सबूतों पर अदालत ने पूछे थे सवाल। अष्टकोणों को भी हिन्दू धर्म का मानने से कर दिया इनकार।
राम अयोध्या में तो पैदा हुए, लेकिन किस गली-मोहल्ले में, ये कैसे साबित होगा: मुस्लिम पक्ष
बाबरी मस्जिद सुन्नी वक़्फ़ के एकाधिकार में हमेशा से रही है। गर हिन्दू रामजन्मभूमि की सटीक जगह बता दें तो सुन्नी वक्फ बोर्ड श्रीरामजन्मभूमि से मस्जिद हटा लेगा।
राम के अयोध्या में जन्म की बात पर जज ने पूछा- किसी कोर्ट में जीसस के जन्म पर बात हुई है?
रामायण में कम-से-कम तीन बार यह ज़िक्र है कि भगवान श्री राम अयोध्या में पैदा हुए थे। इसपर जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या जीसस क्राइस्ट बेथलेहम में पैदा हुए थे, ऐसा या इससे मिलता-जुलता कोई सवाल कभी कोर्ट में आया है क्या। तो परासरण ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है, वह इसे देखेंगे।