बीबीसी की रिपोर्ट्स में हिंदू बनाम मुस्लिम ध्यान रखते हुए एकतरफा पत्रकारिता का फर्क़ पहली बार नहीं झलक रहा। बल्कि यदि बीबीसी की वेबसाइट पर जाकर सर्च बॉक्स में इन दोनों (घूँघट और बुर्का ) शब्दों को टाइप किया जाए तो इनके इस पूरे अजेंडे का खुलासा होता है।
राम मंदिर पर हद दर्जे की नकारात्मकता फैलाई गई। आपको जानना ज़रूरी है कि इस फ़ैसले को लेकर कैसी-कैसी वाहियात और डरावनी बातें कही गईं। इन 8 मीडिया पोर्टल्स को पहचान लीजिए और उन्होंने कैसे हिन्दुओं को बदनाम करने का प्रयास किया, यह भी देख लीजिए।
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट के अंत में लिखा कि पराली जलाने पर खुली धमकी देने वाला संगठन (भारतीय किसान यूनियन) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध संगठन है। जबकि वास्तविकता में ये संगठन आरएसएस से जुड़ा हुआ ही नहीं है।
बगदादी और उसका आतंकी संगठन आईएसआईएस 5 लाख से भी अधिक हत्याओं का गुनहगार है। फिर भी बीबीसी ने उसे ऐसे प्रस्तुत किया था, जैसे वो मानव-सेवा के लिए बलिदान हुआ कोई सामाजिक कार्यकर्ता हो।
BBC में काम करने वाली समीरा अहमद अपने संस्थान पर महिलाओं को पुरुषों से कम पेमेंट देने का आरोप लगा कर कोर्ट तक घसीट लाई हैं। जेरेमी (पुरुष) को जिस 15 मिनट के शो के लिए 2.72 लाख रुपए/शो मिलते थे, वहीं समीरा को मात्र 40,000 रुपए।
'बगदादी फुटबॉल के स्टार थे' से लेकर 'बगदादी अंतर्मुखी थे' तक, बीबीसी ने ISIS के सरगना को ऐसे सम्मान दिया, जैसे उसने उसकी रूह की शांति के लिए तर्पण की जिम्मेदारी ली हो। आतंकी बगदादी की मौत से शोकग्रस्त बीबीसी के प्रोपेगेंडा का काला चिट्ठा पढ़ें उसके ही शब्दों में।
BBC के प्रजेंटर व होस्ट और ब्रिटेन में सिख समुदाय की आवाज माने जाने वाले लॉर्ड इंद्रजीत सिंह ने सिख गुरु तेग बहादुर पर एक कार्यक्रम किया था। BBC ने उनके इस कार्यक्रम को सेंसर कर दिया। क्यों किया?
"यहाँ तब्लीगी जमात के बेहद "सख्त और रूढ़िवादी" भी बड़े आराम से रहते हैं। यहाँ सूफी परंपरा का केंद्र भी है, जहाँ लोग मकबरे की पूजा करते हैं और कव्वालियाँ गाते हैं। भारत में सहिष्णुता की भावना है।"
ब्रिटिश होने के बावजूद टली भारत की वास्तविकताओं को उस राजनीतिक दल से कहीं अधिक समझते हैं जिसने दशकों तक देश पर शासन किया है। जिस हकीकत को टली जैसे विदेशी समझ लेते हैं वह कॉन्ग्रेस क्यों नहीं समझ पाती है, ये पूरी तरह से समझ से परे है।
BBC ने जब इस खबर को सोशल मीडिया पर शेयर किया तो उसकी हेडिंग, "असम: पुलिस ‘पिटाई’ से मुसलमान महिला का गर्भपात" रखी, जबकि वेबसाइट पर इसी ख़बर की हेडिंग थी - "असम: पुलिस ‘पिटाई’ से महिला का गर्भपात"। सोशल मीडिया पर शेयरिंग के दौरान हेडिंग में 'मुसलमान' शब्द जोड़ना बीबीसी की नीयत को साफ़ कर देता है।