पूरे वीडियो को देखने से पता चलता है कि अंसारी के साथ जय श्री राम बोलने को लेकर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की गई। उन्होंने खुद ही कहा कि राम सिर्फ भाजपा के नहीं, बल्कि सभी के हैं।
एजाज खान ने जयपुर, कश्मीर, अहमदाबाद और राजस्थान जेल से छूटने वाले लोगों के बारे में बात करते हुए कहा कि इनका न्याय कॉन्ग्रेस से माँगना चाहिए, न कि भाजपा की सरकार से। उस समय कॉन्ग्रेस की सरकार थी, न कि भाजपा की। इसलिए न्याय भी कॉन्ग्रेस से ही माँगना चाहिए।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही येदियुरप्पा के एक आदेश ने सरकारी महकमे में खलबली मचा दी है। मुख्य सचिव ने सभी उपसचिवों को पत्र लिखकर कुमारस्वामी द्वारा जुलाई में दिए गए सभी आदेशों को रोकने की सख्त हिदायत दे दी है।
बीएस येदियुरप्पा आज (जुलाई 26, 2019) शाम 6 बजे राज्य में चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। राज्य में 3 दिन पहले ही कॉन्ग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिरी है।
राकेश ने बीजेपी का झंडा उतारने से मना किया तो राजाराम ने उसके साथ बदतमीजी की। फिर उसकी और उसकी पत्नी की पिटाई कर दी। साथ ही राजाराम ने अपने विकलांग बेटे को दारू पिलाकर उसके दरवाजे पर बैठा दिया है और वो गाली-गलौज कर रहा है।
"भाजपा के लोग खून के प्यासे हैं, इसलिए मुस्लिमों को उनके खिलाफ एक हो जाना चाहिए। वो लोग चाहे कुछ भी नारा लगवाएँ, तुम सिर्फ अल्लाह का नाम लो। शहादत का जज्बा आ जाएगा तो कोई मॉब लिंचिंग करने वाला या आरएसएस वाला कुछ भी नहीं कर पाएगा।"
इससे पहले शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, "हम यहां (मध्यप्रदेश) सरकार गिराने का कारण नहीं बनेंगे। कांग्रेस नेता खुद ही सरकार के पतन के लिए जिम्मेदार होंगे। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।"
अगर मंत्री किसी प्रशंसक को मजाक में ही सुबह बोलते हैं कि आप दिल्ली आ जाइए चाय पीने, तो लोग शाम तक सच में दिल्ली उनके कार्यालय पहुँच जाते हैं। कई प्रशंसक तो मंत्री से मिलने के लिए पास बनवाने के लिए यह संदेशा भिजवाते हैं कि उन्होंने बचपन में मंत्री के साथ पढ़ाई की है और उनके मित्र हैं, इसलिए मिलना चाहते हैं।
105 वोट विशवास मत के विरुद्ध पड़ने के बाद जहाँ भाजपा ने इसे जनादेश की जीत बताया है, वहीं महबूबा मुफ़्ती ने इसे देश के लोकतंत्र में एक काला दिन करार दिया है।
2004-05 में ब्रदर सिरिल लकड़ा ने ₹2.6 लाख में 4.23 एकड़ ज़मीन खरीदते हैं। ख़रीदी तो व्यक्तिगत तौर पर लेकिन मिशनरी संस्था में फ़ादर, ब्रदर, सिस्टर को ज़मीन रखने का अधिकार नहीं। इसलिए बेचते समय मिशनरी संस्था सामने आ जाती है और ₹4.76 करोड़ में डील फाइनल कर ली जाती है।