देश में घोषित किए गए लॉकडाउन के बीच 28 मार्च से उत्तरी दिल्ली के मजनू-का-टीला गुरुद्वारा में फँसे सिखों को दिल्ली सरकार ने नेहरू विहार के एक स्कूल में शिफ्ट करने का फैसला किया है। साथ ही सरकार ने फैसला लिया है कि सभी लोगों को क्वारंटाईन करके जाँच के लिए उनके सैंपल लिए जाएँगे।
इससे पहले एक मामला दिलशाद गार्डन स्थित दिल्ली स्टेट कैंसर हॉस्पिटल से भी सामने आया था, जहाँ से एक कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर को कोराना पॉजिटिव पाया गया था। हालाँकि, संक्रमित डॉक्टर की कोई ट्रैवल हिस्ट्री भी नहीं मिली थी।
अहमदाबाद में पुलिस को तब निशाना बनाया गया जब वह निजामुद्दीन के मरकज से निकले लोगों की तलाश कर रही थी। इससे पहले मधुबनी, भिलाई, सोलापुर, बोंगाईगॉंव जैसे कई जगहों पर पुलिस के काम में बाधा डालने की कोशिश समुदाय विशेष की तरफ से हो चुकी है।
अब सवाल खड़ा होता है कि दिल्ली मजहबी सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद ये जो जमाती पूरे देश में फैले इन्होंने जागरूकता के नाते पहले अपनी जाँच क्यों नहीं कराई और जब ये लोग दूर क्षेत्रों की मस्जिदों में पहुँचे या वहाँ रुके भी तो इस दौरान वहाँ के स्थानीय लोगों ने इसके संबंध में पुलिस प्रशासन को क्यों अवगत नहीं कराया।
"चाहे वह सफाई कर्मचारी हो, डॉक्टर हो या फिर नर्स, कोरोना के खिलाफ जंग में अगर उनकी जान चली जाती है तो उनका सम्मान करते हुए उनके परिवार को 1 करोड़ रुपए दिए जाएँगे। चाहे वे प्राइवेट हॉस्पिटल के हों या सरकारी इससे फर्क नहीं पड़ेगा।"
दिल्ली पुलिस के बार-बार कहने पर भी मौलाना साद इमारत खाली करवाने को तैयार नहीं था। बाद में उसने केवल 167 लोगों को ही क्वारंटाइन किए जाने की अनुमति दी। लेकिन, जब डोभाल ने मोर्चा सॅंभाला तो वह पूरी इमारत खाली करवाने को तैयार हो गया।
इन तीन महीनों में अगर वो EMI या क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान नहीं करते हैं, तो उन्हें इस अवधि का ब्याज देना होगा। हालाँकि, इस वजह से उनके लोन चुकाने की अवधि तीन महीने के लिए बढ़ जाएगी। सबसे जरुरी बात यह है कि EMI पर ग्राहकों को सिर्फ तीन माह की मोहलत मिली है, ना की लोन चुकाने से माफी!
पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से त्राहि-त्राहि कर रही है। लेकिन, चीन संक्रमण पर काबू पाने का जश्न मना रहा है। उसने वेट मार्केट फिर से खोल दिया है। खुलेआम कुत्ते, बिल्ली, बतख, खरगोश का माँस बिक रहा है। चमगादड़, केकड़े और छिपकलियाँ भी बेची जा रही हैं।
पुलिस से वहाँ उपस्थित लोग झड़प करने लगे। इसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज कर के लोगों को वहाँ से भगाना पड़ा। जमालुद्दीन अंसारी, हुसैन ख़ान, सैयद नवाब कुरैशी, मोहम्मद मिराज शेख और अजहरुद्दीन शेख समेत अन्य लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है। इन सब पर राजस्थान एपिडेमिक डिजीजेज एक्ट लगाया गया है।
वुहान वायरस का संक्रमण रोकने के लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार के सभी प्रयास सफल रहें। इसके लिए राज्य सरकारों को बिना किसी छल-कपट के एकजुट होकर काम करना होगा। तभी अपने लोगों के जीवन की रक्षा की जा सकती है।