"उनके नंबर से मेरे पास फोन आया। उधर से कोई और बोला और पूछा कि यह किसका नंबर है? मैंने कहा मेरे पति का... मैं कुछ लोगों को लेकर घटनास्थल की ओर दौड़ी तो देखा कि एक दुकान के सामने वह घायल पड़े हुए हैं मैं देखते ही बेहोश हो गई।"
"कमरे के अंदर आओ तो मेरे बेटे राहुल को लेकर ही आना, नहीं तो वापस चले जाना।" एक मॉं के इस सवाल का जवाब मेरे पास नहीं था। आपके पास भी नहीं होगा। इसलिए इस दंगाई भीड़ की पहचान जरूरी है ताकि कल कोई राहुल फिर बेमौत मारा न जाए।
“डीसीपी अमित शर्मा के मुँह से खून निकल रहा था। आँखें ऊपर की ओर हो चुकी थी। भीड़ 5-10 मीटर पर थी। हम पर पथराव हो रहा था। जैसे-तैसे मैंने खुद को सॅंभाला और डीसीपी को डिवाइडर पर लगी ग्रिल के उस पार किया।"
24 फरवरी को हिंसा भड़कने के बाद श्याम दुकान बंद ही कर रहे थे कि दंगाइयों की भीड़ अचानक से पत्थरबाजी करती हुई आई। दंगाइयों ने पहले लूटपाट और तोड़फोड़ की। इसके बाद दुकान को आग के हवाले कर दिया।
हिंदू लड़की की शादी की तैयारियाँ। हलवाई लजीज व्यंजन बनाने में लगे हुए। तभी दंगाइयों ने पहले तो ईंट-पत्थर-टाइल्स फेंकना शुरू कर दिया उस घर में। उसके बाद पेट्रोल बम फेंका। यह कोई आतंकी हमला नहीं था। बल्कि हमलावर घर के पड़ोस में रहने वाले वही अब्बा जान, भाई जान थे; जिनसे शादी वाले घर की बहन-बेटियाँ हर रोज दुआ सलाम करती थीं।
अंकित शर्मा के पिता रविन्द्र शर्मा ने FIR दर्ज कराते हुए AAP नेता और नगर पार्षद ताहिर हुसैन के अलावे कई अन्य लोगों को भी आरोपित बनाया। रविन्द्र शर्मा ने FIR में आरोप लगाया कि अंकित के शव को मस्जिद से नाले में फेंका गया था। फॉरेंसिक टीम ने...
रतनलाल का परिवार बिलकुल अकेला है। पत्नी पूनम, 2 मासूम बेटियाँ और एक बेटा को छोड़ गए वो। उनकी माँ और छोटा भाई दिनेश भी उन पर आश्रित थे। पिता बृजमोहन का तो ढाई साल पहले ही देहांत हो चुका है। अब ऐसे में आखिर उनका घर चलाने वाला है ही कौन?
"यह दिल्ली को भी पाकिस्तान बनाना चाहते हैं, जो कि ऐसा कभी हो नहीं सकता, लेकिन अब हम इसका इलाज करके मानेंगे। यह चोर बिल्डिंग है। इसमें गुंडागर्दी होती है। इस इमारत को अब यहाँ नहीं रहने देंगे, इसे हम सरकार से तुड़वाकर ही दम लेंगे। चाँदबाग को इन्होंने अपना गढ़ बना रखा है।"
श्रीवास्तव ने 2017 में दक्षिण कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट के तहत कई ऐसे एनकाउंटर किए जिसमें हिज्बुल मुजाहिदीन समेत कई आतंकवादी गुटों के टॉप कमांडर ढेर किए गए थे। दिल्ली पुलिस में रहते हुए भी वे कई एंटी टेरर ऑपरेशन कर चुके हैं।
"मुसलमानों की भीड़ लाठी-डंडे, ईंट-पत्थर, सरिया, रॉड, तमंचे लेकर गली से मेन रोड की तरफ जा रही थी। भीड़ में महिलाएँ और बच्चे भी थे। हिंदुओं पर हमला करने के लिए वे अपने बच्चों और महिलाओं को घरों से बाहर निकाल रहे थे। इसे देखकर मैं दंग रह गई।"