केजरीवाल सत्ता में आए थे 500 नए स्कूल खोलने का वादा कर। लेकिन, न स्कूल खुले। न नामांकन बढ़ा। न परिणाम सुधरे और न शिक्षक बहाल हुए। गिने-चुने स्कूलों में करोड़ों लुटाकर उसका ढोल पीट सरकार ने पॉंच साल गुजार लिए।
दिल्ली में जिस शिक्षा क्रांति के केजरीवाल सरकार दावे कर रही, वह खूबसूरत तस्वीरों की आड़ में कई ऐसे तथ्य छुपाए हुए है जो मुख्यधारा की चर्चा से गायब हैं या लोग इससे अनजान हैं। सच्चाई यह है कि गुणवत्तापूर्ण सरकारी शिक्षा आज भी स्वप्न ही है।
यूनिवर्सिटी ने मंडल का पक्ष जानने के लिए उनके पास कई स्पीड पोस्ट व ईमेल भेजे लेकिन उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया। मंडल ने एक बार भी जवाब देना ज़रूरी नहीं समझा। इसीलिए, अब निर्णय लिया गया है कि उन्हें भविष्य में लेक्चर के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
अतिथि विद्वान 28 दिन से धरने पर हैं। कफन ओढ़कर प्रदर्शन कर चुके हैं। खून से दीया जला चुके हैं। शहर की सड़कों पर शू पॉलिश कर विरोध जता चुके हैं। लेकिन, कमलनाथ कैबिनेट का मतभेद है कि मिटता नहीं।
पद यात्रा, मुंडन, धरना-प्रदर्शन के बाद ही शुरू हो पाई नियुक्ति प्रक्रिया। फिर भी मेरिट लिस्ट में आईं आरक्षित वर्ग की महिलाओं को नहीं दिया नियुक्ति पत्र। अतिथि विद्वान भी भविष्य को लेकर सशंकित।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को आधुनिक बनाने में युवा पीढ़ी की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। उन्हें विश्वास है कि भारत में यह दशक न सिर्फ़ युवाओं के विकास का होगा, बल्कि युवाओं के सामर्थ्य से देश का विकास करने वाला भी साबित होगा।
"यह अपनी तरह का देश का पहला विश्वविद्यालय होगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगले साल 15 जनवरी से इस यूनिवर्सिटी में दाखिला मिलेगा। फरवरी-मार्च से कक्षाएँ शुरू हो जाएँगी।"
‘भूत विद्या’ विशुद्ध विज्ञान है। यह आष्टांग आयुर्वेद से जुड़ा है। भूत विद्या की शिक्षा लेने वाले मनोदैहिक विकार का उपचार करने में समर्थ होंगे। इस तरह के विकार मन में पैदा होकर शरीर को कष्ट देते हैं।
व्याख्याता परीक्षा का मुद्दा राजस्थान में गरमा गया है। छात्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री इसे इगो का मुद्दा बना रहे हैं। गौर करने लायक बात यह है कि ज्यादातर नाराज़ छात्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक हैं।
मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने के बाद विश्वविद्यालय में राजनीतिक प्रयोगों का जो सिलसिला शुरू हुआ था, उसके तहत ही कुछ महीने पहले दिलीप मंडल और मुकेश कुमार की अनुबंध पर नियुक्ति हुई थी। आरोप है कि दोनों प्रोफेसर छात्रों के बीच जातिगत भेदभाव कर माहौल खराब कर रहे हैं।