आपसी दुश्मनी में लोग कई बार क्रूरता की हदें पार कर देते हैं। लेकिन ये दुश्मनी आपसी नहीं थी। ये दुश्मनी तो एक हिंसक विचारधारा और मजहबी उन्माद से सनी हुई उस सोच से उत्पन्न हुई, जहाँ कोई फतवा जारी कर देता है, और लाख लोग किसी की हत्या करने के लिए, बेखौफ तैयार हो जाते हैं।
हाल ही में ख़बर आई थी कि पाकिस्तान ने हिज़्बुल, लश्कर और जमात को अलग-अलग टास्क सौंपे हैं। एक टास्क कुछ ख़ास नेताओं को निशाना बनाना भी था? ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कमलेश तिवारी के हत्यारे किसी आतंकी समूह से प्रेरित हों।
एक वीडियो वीडियो में दिख रहे दो शख्स में से एक के हाथ पीले रंग की पॉलीथीन है। माना जा रहा है कि रहा इसमें मिठाई का वह डब्बा रहा होगा जिसमें बन्दूक छिपा कर रखी गई थी।
22 दिसंबर 1926 को स्वामीजी पुरानी दिल्ली के अपने मकान में आराम कर रहे थे। अब्दुल रशीद नाम का एक व्यक्ति उनके कमरे में दाखिल हुआ। स्वामीजी के सेवक को पानी लाने के बहाने बाहर भेजा और सामने से तीन गोलियाँ मार दी।
कमलेश तिवारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट अपनी मौत से करीब दो दिन पहले साझा किया था। उन्होंने उस पोस्ट में लिखा था कि कैसे उन्हें यूपी आईबी से फोन कर इस सन्दर्भ में बताया गया था। इसी से यह भी पता चलता है कि कमलेश पहले से ही जिहादियों के निशाने पर थे।
कमलेश के 2015 में दिए एक बयान के चलते कई इस्लामिक संगठन उन्हें टारगेट कर रहे थे। माना भी यही जा रहा है कि कमलेश की हत्याके पीछे पैगम्बर पर उनके बयान से भड़के उन तमाम कट्टरपंथियों का हाथ है जो खुले-आम तिवारी का सर कलम करने की बात कर रहे थे।
हाल ही में कुछ दिनों पहले सरसंघचालक ने हिन्दू राष्ट्र को लेकर संघ का मत स्पष्ट करते हुए एक बयान दिया था, उसपर पलटवार करते हुए ओवैसी ने हिन्दू राष्ट्र के मुद्दे पर हल्ला बोला है।
आगजनी की घटना की जानकारी मिलते ही अजमेर पुलिस के महानिरीक्षक संजीव निर्जारी, पुलिस अधीक्षक आदर्श सिद्धू, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोरधन लाल स्थिति का जायज़ा लेने के लिए घटनास्थल पर पहुँचे। अधिकारियों ने लोगों के बीच बढ़ते ग़ुस्से को भाँपते हुए उन्हें उचित कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया।