Thursday, November 21, 2024

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दलित और गोमूत्र से घृणा करने वाला द वायर का हिन्दूफोबिक मीडिया ट्रोल इसलिए अपराधी नहीं हो सकता

...लेकिन इस बार भी यही होना है। दलितों की तुलना जानवरों से करने वाले द वायर के इस पत्रकार को जनता फिर से अपना नायक बना देगी और उसके लिए यही उपलब्धि काफी होगी। हो सकता है अगले चुनाव में प्रशांत कनोजिया भी किसी सड़क पर चंदा माँगता हुआ नजर आए।

आसिफ़ की मृत्यु के बाद 600 पत्थरबाज़ों ने पुलिस पर बोला हमला, घंटों हाइवे रखा जाम: FIR दर्ज

"आसिफ़ के परिवार व पड़ोसियों ने पत्थरबाज़ी की। उन्होंने एक घंटे से भी अधिक समय तक दिल्ली-मेरठ हाइवे को जाम रखा व कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को जम कर नुकसान पहुँचाया, तोड़फोड़ मचाया और कानून व्यवस्था को धता बताया।"

पत्रकार ने पोस्ट किया ‘CM योगी की प्रेमिका’ वाला फर्जी वीडियो, गिरफ्तार

प्रशांत कनौजिया का दलितों और हिंदू संतों पर अभद्र टिप्पणी करने का इतिहास रहा है। कनौजिया दलितों को 'बिना दिमाग वाला जानवर' भी कहा था और साथ ही हिंदू धर्म का भी मजाक उड़ाते हुए इसे "बेकार धर्म" कहा था।

केजरीवाल रावण से ज्यादा घमंडी: अलका लाम्बा का आरोप, AAP में घमासान

अलका लाम्बा ने आरोप लगाया कि केजरीवाल पार्टी को बाँट रहे हैं, और कार्यकर्ताओं को पार्टी या विधायक (लाम्बा) में से किसी एक को चुन लेने के लिए कह रहे हैं।

अधिकारियों का जत्था, पुलिस दल, एम्बुलेंस: CM कमलनाथ के रिश्तेदारों को सरकारी VVIP सुविधाएँ

कमलनाथ के रिश्तेदारों की खातिरदारी के लिए सीधा मुख्यमंत्री कार्यालय से पत्र आया था, ऐसा अधिकारियों ने दावा किया है। भतीजे के लिए उज्जैन यात्रा में सरकारी अधिकारी, पुलिस दल, एम्बुलेंस सहित कई ऐसी सरकारी सुविधाएँ दी गईं, जो किसी बड़े अधिकारी या कैबिनेट रैंक वाले को...

‘मुझे गोली मार दो’- गुलाम नबी आज़ाद के साथ मीटिंग में हरियाणा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की बात से बवाल

"अगर मेरे को ख़त्म करना है, तो मुझे गोली मार दो।" हरियाणा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की इस बात के बाद बैठक में आज़ाद ने भी कहा कि पार्टी के भीतर कुछ बड़े होने वाले हैं, लेकिन उनकी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए कॉन्ग्रेस नेता पूरी मीटिंग में आपस में लड़ते रहे।

मंत्रियों के जाति-धर्म पर चल रहे मीडिया शोध से आखिर कौन-सी अच्छी बात हो जाएगी?

30 मई को जिन मंत्रियों ने शपथ ली, उनकी जाति-धर्म पर शोध हुए और खबरें बना दी गईं। जाति और धर्म का एंगल देकर निष्कर्ष ये निकाला गया कि मोदी सरकार ने भले ही ‘सबका साथ-सबका विकास’ करने की कितनी ही कोशिश क्यों न की हो, लेकिन उनकी मंत्रिपरिषद में ऊँची जाति वालों का ही आधिपत्य है।

एक सौ सोलह ‘वायर’ के लेख… चुनावी रिपोर्टिंग में वायर का हर विश्लेषण गलत

यह महज़ संयोग है या फिर साज़िशन ऐसा किया गया? क्या 'द वायर' की पोलिटिकल रिपोर्टिंग वाक़ई बकवास और अनुभवहीन है, या जान-बूझ कर चुनावों को प्रभावित करने के लिए ऐसे लेख लिखे गए?

क्या गाँधी की हत्या को रोका जा सकता था? कौन से लूपहोल्स थे? क्यों हो गए थे अपने ही लोग लापरवाह?

26 जनवरी 1948 की रात को थाने स्टेशन पर नाथूराम, आप्टे और करकरे मिले, जहाँ गोडसे ने पाहवा द्वारा उनके नाम उजागर कर देने की बात भी कही। उसके विचार में अब 9-10 के ग्रुप में चलने की मूल योजना ग़लत थी। अतः गोडसे अब बार-बार कहने लगा कि गाँधी की हत्या वही करेगा।

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