भगत सिंह का वामपंथ टुकड़े-टुकड़े वाला नहीं था। न ही उन्होंने कभी ऐसा लिखा कि वे हिन्दू धर्म को नहीं मानते या फिर वे हिन्दू देवी-देवताओं से घृणा करते हैं।
कुछ लोग और वामपंथी मीडिया संगठन हैं, जिन्होंने विस्तारवादी चीनी डिजाइन के खिलाफ भारत के रुख को कमजोर करने और मोदी सरकार के खिलाफ अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए इस संकट का इस्तेमाल किया है।
तीस्ता सीतलवाड़ और स्वराज अभियान से जुड़े वामपंथी जिया नोमानी ने निजी बातचीत में स्वीकार किया है कि पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठन देश के मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाते हैं।
"बीबीसी पर हमेशा से आरोप लगते रहे हैं कि वह वामपंथ से प्रेरित है या वामपंथ का पक्ष लेता है। इस तरह के आरोप सिर्फ इंग्लैंड में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लगाए जाते हैं।"