आरोपित मौलाना तीन बच्चों का बाप है। वह अपने घर में ही मदरसा चलाता था। मामले को दबाने के लिए उसने बच्ची का जबरन गर्भपात करवाया। उसके परिजनों से सौदा करने की कोशिश की।
मदरसे मजहबी तालीम के केंद्र हैं। अमूमन इसमें मुस्लिम समुदाय के बच्चे ही पढ़ते हैं। लेकिन, बंगाल में हिंदू बच्चों की तादाद भी अच्छी-खासी है और वह साल दर साल आश्चर्यजनक तौर पर बढ़ रही है। आखिर इसकी वजह क्या है?
संदिग्ध हालत में मिले बच्चों की उम्र 12-14 साल के बीच है। बच्चे वक्फ बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसे में रह कर पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन, रोज-रोज की पिटाई ने इन्हें मदरसे से भागने पर मजबूर कर दिया।
हाल ही में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित काजी मासूम अख्तर ने कहा कि मुझे अपने जीवन जीने से डर है और बंगाल में मेरी कभी भी हत्या की जा सकती है। उन्होंने सीएए के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन पर कहा कि इससे मुस्लिमों को डरने की कोई जरूरत नहीं है।
निर्मला दास ने 22 साल पहले तीन बीघा ज़मीन मंदिर के लिए दान दी थी। दिवंगत विधवा ने मंदिर के साथ-साथ स्कूल और हॉस्पिटल बनाने के लिए भी ज़मीन दान की थी। कुछ दिनों पहले तृणमूल कॉन्ग्रेस की स्थानीय यूनिट ने ज़मीन पर कब्ज़ा कर भवन निर्माण शुरू कर दिया।
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मदरसे के मौलवी शमशुद्दीन ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर 10 साल के बच्चे का 100 से अधिक बार बलात्कार किया। पीड़ित बच्चे को बेहद गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी सांसे ज़िंदगी और मौत के बीच अभी भी अटकी हुई हैं।
पीड़िता ने बताया कि 20 दिसंबर की रात वो कमरे में सोई हुई थी। तभी मदरसे का हाफिज वहाँ पहुँचा और बहला-फुसलाकर उसे अपने कमरे में ले गया। वहाँ कमरा बंद करके डरा धमकाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद आरोपित मौलाना ने छात्रा को किसी से कहने पर जान से मारने की धमकी दी।
"आप लोग पहले ही जानते हैं, उन लोगों ने मुझे सबसे सामने कोर्टरूम में धमकाया। मैं बहुत डरा हुआ हैं। मैं प्रधानमंत्री से हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने की माँग उठाता हूँ।"
बच्चों के साथ बातचीत के दौरान, यह पाया गया कि स्कूल में बच्चों ने न तो कभी 'राष्ट्रगान' गाया और न ही आधिकारिक रूप से स्वीकृत प्रार्थना 'वो शक्ति हमें दयानिधि' गाई। बच्चों ने बताया कि उन्होंने हमेशा 'लब पे आती है दुआ' का ही पाठ किया है।