"मैं यहाँ मुख्यमंत्री से मिलने आया। मैंने उनसे मिलने हेतु अपॉइंटमेंट के लिए कई गुजारिश की। लेकिन मैं उनसे नहीं मिल सका। सावरकर जी की इज्जत का मामला होने के बाद भी उनके (मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे) पास मुझसे बात करने के लिए एक मिनट का समय नहीं हैं।"
सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर जमात-ए-इस्लामी हिंद मुंबई, मराठी पत्रकार संघ और एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के संयुक्त कार्यक्रम मुंबई वीटी स्टेशन के नजदीक पत्रकार भवन में शनिवार शाम को रखा गया है।
इससे पहले एक महीने में जान देने वाले किसानों का आँकड़ा 300 के पार 2015 में पहुॅंचा था। राजस्व विभाग के आँकड़े बताते हैं कि बारिश में किसानों की 70% खरीफ़ की फसल नष्ट हो गई। अक्टूबर से नवंबर के बीच आत्महत्या में 61 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
असलम शेख ने जुलाई 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखकर मेमन की फॉंसी को उम्रकैद में बदलने की अपील की थी। मेमन 1993 बम ब्लास्ट का दोषी था। दिलचस्प यह है कि उस वक्त जिनलोगों ने मेमन का समर्थन किया था उसे शिवसेना ने देशद्रोही बताया था।
उद्धव के बेटे आदित्य, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और अमित देशमुख नए मंत्रियों में प्रमुख नाम हैं। पुणे पुलिस ने बताया कि थोपते के नाराज़ समर्थकों ने कॉन्ग्रेस कार्यालय पर हमला बोल दिया और वहाँ मौजूद कुर्सियों व गद्दों को फेंक डाला।
शिवसेना कार्यकर्ताओं ने बुजुर्ग को चारों ओर से घेर रखा था और उसे खरी-खोटी सुना रहे थे। इस दौरान वहाँ उपस्थित कई लोग तमाशबीन बन कर देखते रहे। अंत में महिला ने स्याही भरी बोतल निकाली और बजुर्ग के सिर और गले पर उड़ेल दिया।
आंदोलन का स्टेज सज गया, वक्ता आ गए, लेकिन इससे आंदोलन सफल नहीं कहा जाता। वो न सिर्फ हिंसा भड़काना चाहते हैं, बल्कि अपने ही लोगों से पेट्रोल बम फिंकवाते हैं, और भीड़ को कहते हैं कि देखो ब्राह्मणों ने बम फेंका तुम पर, तुम्हें 5000 सालों से सता रहे हैं, देखते क्या हो, यलगार हो!
"तीस साल से राजनीति कर रहा हूँ और अब इस तरह के राजनीतिक माहौल में हमारे लिए कोई जगह नहीं बची है। मैं पार्टी के किसी नेता से नाखुश नहीं हूँ लेकिन ऐसी राजनीतिक परिस्थिति बनी है कि इसके बाद अब मेरे जैसे लोगों के लिए सियासत में कोई जगह नहीं।"
"हम माँगने वाले लोग नहीं हैं। हम देने वाले लोग है। हमने हमारे लिए या फिर हमारे परिवार के लिए कभी कुछ नही माँगा है। मेरे परिवार ने महाराष्ट्र में सरकार गठन में योगदान दिया है। ये तीन दलों की सरकार है और सभी दलों में योग्य लोग हैं। मेरे भाई ने कभी मंत्रीपद नहीं माँगा।"
जब अजित पवार ने भाजपा की सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब एनडीटीवी ने उन्हें 'भ्रष्टाचारी और दागी नेता' बताया था। वहीं जब उन्होंने ठाकरे सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तब एनडीटीवी ने 'भ्रष्टाचारी' और 'दागी' जैसे शब्दों को हटा दिया।