तनवीर जैसे अन्य कई 'बुद्धिजीवियों' ने सरेआम सड़कों पर उनके पोस्टर जलाए, उनके ख़िलाफ़ नारे लगाए गए, उनके मरने-मारने तक की बातें हुईं। लेकिन किसी ने भी एक बार नरेंद्र मोदी सरकार के उन कार्यों पर नजर नहीं डाली। जिसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने सिर्फ़ अल्पसंख्यक समुदाय को समाज में ऊपर उठाने के लिए किया।
फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने दी क्विंट के इस प्रोपेगैंडा को ध्वस्त करते हुए वेबसाइट को चैलेंज भी किया था कि वह साबित करें कि यह एक फेक और सोची समझी घृणा फैलाने के मकसद से जारी किया गया स्क्रिप्टेड वीडियो नहीं है या फिर इसे डिलीट कर दें।
अग्निहोत्री ने बताया कि 'द क्विंट' ने इस पूरे ड्रामे की साज़िश पहले ही रच ली थी। अर्थात, एक स्क्रिप्ट तैयार कर के एक जूनियर आर्टिस्ट को कैब ड्राइवर बनाकर NRC के नाम पर उससे अभिनय करवाया गया और दर्शकों को इसे सच बता कर परोस दिया गया। ये सब कुछ एक ड्रामा है।
आज हम आपके सामने इंडिया टुडे की पत्रकारिता की पोल खोलने के लिए उनकी 5 ऐसी खबरें लेकर आए हैं। जब इस समूह ने अपने पाठक और दर्शक को सूचना देने के नाम पर या तो मजाक उड़ाया या फिर फेक न्यूज़ और व्यंग्य को खबर बताया।
बात 2006 की है। नए-नए खुले IBN7 और CNN-IBN को किसी सनसनीखेज स्टोरी की तलाश थी। राजदीप उसके चीफ एडिटर थे। TRP के लिए इन्होंने रिपोर्टर जमशेद खान से एक फर्जी स्टिंग करवाया डॉ अग्रवाल का। खबर यह बनाई कि डॉक्टर भीख माँगने वाले गिरोह के लिए बच्चों का हाथ-पैर काटते हैं। जाँच में ऐसा कुछ नहीं निकला लेकिन...
साबित हो चुका है कि अक्षत ABVP का कार्यकर्ता नहीं। 'इंडिया टुडे' की पत्रकार वामपंथियों के साथ कानाफूसी और सेटिंग करते देखी गईं। कँवल की थेथरई का आलम ये है कि वो सीधा कह रहे कि वो सवालों के जवाब नहीं देंगे। फ़र्ज़ी स्टिंग को 'पाथ ब्रेकिंग' बताने के पीछे का सच।
'इंडिया टुडे' की पत्रकार तनुश्री पांडेय वामपंथी छात्रों के साथ खुसुर-पुसुर करते हुए दिखी थीं। उन्होंने छात्रों को सिखाया था कि उन्हें कैमरे के सामने क्या बोलना है? इसी तनुश्री ने नवंबर 2019 में वामपंथियों के साथ मिल कर रिपब्लिक, ज़ी न्यूज़ और सुदर्शन चैनल के पत्रकारों के साथ बदतमीजी की थी।
इस प्रोपेगेंडा के असर क्या होंगे यह गर्भ में नहीं है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक लोग इनके प्रोपेगेंडा का गुर्दा छील रहे हैं। छीलते रहेंगे। छीलने की रफ्तार जब चरम पर पहुँचेगी तो धुक-धुक धुका रहे इन संस्थानों की फड़-फड़ फड़ाहट खुद-ब-खुद दफन हो जाएगी।
मामला शोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर से जुड़ा है। राजदीप ने एक IPS पर सनसनीखेज आरोप लगाए थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाई। प्रेस की स्वतंत्रता की दुहाई दी। राहत नहीं मिली तो माफी माँग जान बचाई।
फ़िल्म 'तान्हाजी' ने वामपंथी पोर्टलों की ऐसी सुलगाई है कि वो अजय देवगन से खार खाए बैठे हैं। क्विंट, वायर, एनडीटीवी और स्क्रॉल की समीक्षाओं का पोस्टमार्टम कर हमने आपके मनोरंजन की व्यवस्था की है। जानिए, वामपंथी समीक्षकों ने देश के अस्तित्व को कैसे नकारा है।