राणा अयूब को यूपी पुलिस ने फटकार लगाई है। पुलिस ने अयूब को एक 'जिम्मेदार रिपोर्टर' की परिभाषा समझाते हुए कहा कि वो अपने बयान की पुष्टि के लिए सबूत पेश करें। जैसा कि अपेक्षित था, राणा अयूब के पास अपने झूठे बयान की पुष्टि के लिए कोई सबूत नहीं था।
अपने ही प्रोफेसरों से प्रताड़ित माखनलाल के छात्रों के साथ बीते दिनों पुलिस ने भी जोर-जबर्दस्ती की थी। बावजूद इसके जब ये भोपाल की सड़कों पर निकले तो कोई शोर-शराबा नहीं हुआ। न सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुॅंचाया गया।
नूपुर ने सोशल मीडिया में एक कमेंट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि दुआ करनी चाहिए कि मोदी जिस नाव पर बैठें, वो नाव ही डूब जाए। इसके बाद उन्होंने दुआ करते हुए लिखा कि काश नदी में सुनामी आ जाए और मोदी की नाव डूब जाए।
जातिगत भेदभाव के आरोपों में घिरे प्रोफेसर दिलीप मंडल और मुकेश कुमार जॉंच पूरी होने तक माखनलाल यूनिवर्सिटी के कैंपस में प्रवेश नहीं कर पाएँगे। लेकिन, उससे पहले छात्रों के साथ जो कुछ हुआ वह हतप्रभ करने वाला था। पीड़ित छात्रों की जुबानी सुनिए उस रात की प्रताड़ना।
IPS अब्दुर रहमान पर पुलिस भर्ती के दौरान फर्जीवाड़े का आरोप है। महाराष्ट्र सरकार ने जाँच के आदेश दिए थे। 2007 की पुलिस भर्ती परीक्षा में मराठी में लिखना अनिवार्य था, लेकिन अब्दुर रहमान ने 'विशेष समुदाय' के लोगों को उर्दू में लिखने की अनुमति दी थी। साथ ही महिला अभ्यार्थियों का कोटा होने के बावजूद भी उनकी भर्ती नहीं की थी।
शेखर गुप्ता ने दावा किया कि नागरिकता संशोधन विधेयक वह नहीं है, जिसके लिए भाजपा को वोट दिया गया था। जबकि थोड़ा सा गूगल कर लेते तो उनके जैसे 'वरिष्ठ' पत्रकार को लोकसभा चुनाव 2019 में BJP का घोषणापत्र मिल जाता, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि...
मीडिया गिरोह ऐसे आंदोलनों की तलाश में रहता है, जहाँ अपना कुछ दाँव पर न लगे और मलाई काटने को खूब मिले। बरखा दत्त का ट्वीट इसकी प्रतिध्वनि है। यूॅं ही नहीं कहते- तू चल मैं आता हूँ, चुपड़ी रोटी खाता हूँ, ठण्डा पानी पीता हूँ, हरी डाल पर बैठा हूँ।
राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर कहा है कि कॉन्ग्रेस और जेडीएस अभी भी गुटबाजी में फॅंसी है। उन्होंने पैसे और सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल से नतीजों पर असर डाले जाने की बात भी कही है।
NDTV के सम्पादक श्रीनिवासन जैन नागरिकता विधेयक को लेकर अपने ट्वीट के चंद शब्दों 'excludes a specific minority community' में हिन्दुओं के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने, उन्हें नाहक ग्लानि का अनुभव कराने और कथित अल्पसंख्यकों को बिना किसी ठोस आधार के बेचारा दिखाने का जो प्रपंच रचा है, उसे...
"मैं इसीलिए बयान नहीं देती ताकि लोग तालियाँ बजाएँ। तुम्हारे विचार प्रकट कर देने भर से बलात्कारियों के मन में ख़ौफ़ नहीं बैठ जाएगा। हैदराबाद पुलिस ने जो किया, एकदम सही किया। मैं डॉक्टर रेड्डी के दर्द के बारे में सोच भी नहीं सकती लेकिन इस एनकाउंटर से मैं ख़ुश हूँ।"